Why Periods Should Be Discussed Openly: पीरियड्स, महिलाओं के जीवन का एक प्राकृतिक और सामान्य हिस्सा हैं, लेकिन फिर भी इसे लेकर समाज में एक मौन और छुपाने की प्रवृत्ति है। यह स्थिति न केवल महिलाओं के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर असर डालती है, बल्कि समाज के संपूर्ण विकास में भी बाधा उत्पन्न करती है। इस लेख में हम जानेंगे कि पीरियड्स के बारे में खुलकर बात क्यों नहीं की जाती और इसे खुलकर चर्चा में लाना क्यों आवश्यक है।
Menstrual Health: हम पीरियड्स के बारे में खुलकर बात क्यों नहीं करते?
संस्कृति और परंपराएँ
हमारे समाज में पीरियड्स को लेकर कई परंपरागत धारणाएँ और मिथक जुड़े हुए हैं। पुरानी धारणाओं के अनुसार, पीरियड्स को "अशुद्ध" माना जाता है और महिलाओं को इस दौरान कई प्रकार के प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है। ये धारणाएँ समाज में पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही हैं, जिससे यह विषय एक वर्जित विषय बन गया है।
पीरियड्स को लेकर समाज में शर्म और हिचकिचाहट का माहौल होता है। लड़कियों को बचपन से ही यह सिखाया जाता है कि पीरियड्स के बारे में बात करना शर्म की बात है। इस कारण वे खुलकर इस बारे में चर्चा नहीं कर पातीं और अपनी समस्याओं को साझा करने से कतराती हैं।
शिक्षा और जागरूकता की कमी
पीरियड्स के बारे में सही शिक्षा और जागरूकता की कमी भी एक बड़ा कारण है। स्कूलों में इस विषय पर खुलकर चर्चा नहीं होती और कई बार तो इसे पूरी तरह से नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है। इसी वजह से लड़कियाँ और लड़के, दोनों ही इस विषय पर सही जानकारी से वंचित रहते हैं।
अक्सर कार्यस्थल और स्कूलों में पीरियड्स के बारे में बात करना असहज माना जाता है। अगर किसी महिला को ऑफिस या स्कूल में पीरियड्स के दौरान कोई समस्या होती है, तो वह इसे खुलकर बता नहीं पाती। यह स्थिति उसके कामकाजी जीवन को प्रभावित कर सकती है और उसकी उत्पादकता पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
स्वास्थ्य समस्याएँ और संकोच
पीरियड्स के दौरान कई महिलाओं को स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे कि पेट दर्द, सिर दर्द, और थकान। लेकिन समाज में इस विषय पर खुलकर बात नहीं होने के कारण वे अपनी समस्याओं को साझा करने से कतराती हैं। यह संकोच उनकी सेहत को और भी खराब कर सकता है।
पीरियड्स के बारे में खुलकर बात करना महिलाओं के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। जब महिलाएँ अपनी समस्याओं को साझा करती हैं, तो उन्हें सही समाधान मिल सकता है और उनकी सेहत में सुधार हो सकता है। इसके अलावा, इससे समाज में जागरूकता और सकारात्मक सोच का विकास होता है, जो कि जरूरी है।
स्कूल, ऑफिस और घर में चर्चा
अगर स्कूल, ऑफिस और घर में पीरियड्स के बारे में खुलकर बात की जाए, तो यह कई समस्याओं का समाधान कर सकता है। स्कूलों में इस विषय पर सही शिक्षा देने से लड़कियों और लड़कों दोनों को इसकी सही जानकारी मिल सकेगी। ऑफिस में इस विषय पर खुलकर चर्चा करने से महिलाओं को अपनी समस्याओं को बताने में संकोच नहीं होगा। घर में इस विषय पर बात करने से परिवार के सदस्य महिलाओं की समस्याओं को समझ सकेंगे और उनका समर्थन कर सकेंगे।
पीरियड्स के बारे में खुलकर बात करना न केवल महिलाओं के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए लाभकारी है। यह महिलाओं के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार लाता है और समाज में जागरूकता बढ़ाता है। इसलिए, यह जरूरी है कि हम पीरियड्स को लेकर अपनी परंपरागत धारणाओं और मिथकों को तोड़ें और इस विषय पर खुलकर चर्चा करें। चाहे वह स्कूल हो, ऑफिस हो या घर, जब भी जरूरत पड़े, हमें पीरियड्स के बारे में खुलकर बात करनी चाहिए और इसे छुपाना नहीं चाहिए। यह बदलाव समाज को स्वस्थ और सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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