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आज के समय में बच्चे "भावना व्यक्त करना" और "बोल्ड बनना" जैसे शब्दों का प्रयोग तो करते हैं, लेकिन उनके वास्तविक अर्थ को समझ नहीं पाते। ऐसे में माता-पिता की जिम्मेदारी है कि वे बच्चों को भावनात्मक रूप से बुद्धिमान बनाएं। जिस तरह AI को रेगुलेट करना एक चुनौती है, उससे पहले अपने भावनात्मक स्वरूप को नियंत्रित करना सीखना और सिखाना आवश्यक है। बच्चों को बिना डांटे या फटकार लगाए भी भावनात्मक रूप से मजबूत बनाया जा सकता है। अक्सर माता-पिता इस विषय को "बड़े होकर समझ जाएगा" कहकर टाल देते हैं, जबकि यह बेहद जरूरी है। तो आइए, जानते हैं कैसे?
Emotional Regulation: डिजिटल युग में बच्चों को भावनात्मक रूप से स्मार्ट कैसे बनाएं?
भावना को नाम देना सिखाएं
अगर बच्चा अपनी भावना जैसे गुस्से, खुशी और दर्द को नाम देता हैं, तो वह जब हाई इमोशनल होता हैं तो कह सकता हैं। जब बच्चे भावनात्मक रूप से अपने नाम देना सीखते हैं तो वह उनको समझना और महसूस करना भी सही तरीके से सीखते हैं। इमोशनल रेगुलेशन का यह तरीका सबसे बेहतर और बच्चों को Emotional Strong बनाता हैं।
शांत मॉडल को आदर्श बनाना
Children Care And Parenting के दौर में बच्चे एक्शन फिल्में और कार्टून देखते हैं। ऐसे में माता-पिता उन्हें शांत और संयमित रहने वाले आदर्शों की ओर प्रेरित करें। इससे बच्चा एक्शन के साथ-साथ शांति और आत्म-नियंत्रण भी सीखता है। जब बड़े और बच्चे आपस में संवाद करते हैं और एक-दूसरे से सीखते हैं, तो यह आदत उनके जीवन में स्थायी रूप से शामिल हो जाती है।
Calm Down होने के तरीके सिखाएं
children and digital era में स्क्रीन से हटकर 1,2,3 की काउंटिंग के साथ सांस लेना और जब भी गुस्सा आए तो डीप breath करना जरूर सिखाएं। ballon को सोचकर उसे फुलाना और हवा निकालना बहुत ही मन को शान्ति देता हैं। बच्चों को गुस्से को सही तरीके से शांत करने के तरीके सीखना उनके लिए पैनिक सिचुएशन या एग्जाम के समय भी स्ट्रेस को कम करने में हेल्प करते हैं।
माइंडफुलनेस और व्यायाम सिखाना
exercise गुस्से को निकालने और मन को शान्त रखने का सबसे अच्छा तरीका हैं। उल्टी गिनती गिनाना और उसके साथ अपने गुस्से को भूलते जाना भी बेहतर तरीका हैं। साथ ही गिनती के साथ गहरी सांस लेना और निकालना भी बच्चों को सिखाना चाहिए। साथ ही माता-पिता भी इन ऐक्टिविटी में हिस्सा लें।
नाटक या भूमिका अदा करके सिखाना
बच्चों को प्रैक्टिकल समझने में बहुत मजा भी आता हैं साथ ही इससे वह सीखते भी जल्दी हैं। बच्चों को उनके फेवरेट कार्टून या रोल मॉडल की सिचुएशन में डाल कर गुस्से को सही जगह निकालने और शांत रहने के तरीके सिखाएं। बच्चे जब हकीकत में उसे जीते हैं तो उसे सही समय इस्तेमाल भी कर पाते हैं।
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