Expert Insights into the Mystery of Infant Tears: छोटी उम्र में कुछ बच्चे रोते ही रहते हैं। जब भी कोई उनके पास जाता है या फिर उनके साथ कोई बात करने की कोशिश करता है तो वह रोने लग जाते हैं। इससे मां का बोझ भी बहुत ज्यादा बढ़ जाता है और आसपास के लोग भी बच्चों के साथ घुलमिल नहीं पाते हैं। इसके साथ ही बच्चा भी बहुत ज्यादा चिड़चिड़ा रहता है। बच्चों के रोने के कई कारण हो सकते हैं और सही कारण का पता लगाना बहुत जरूरी है ताकि उसे आराम मिल सके। चलिए जानते हैं कि बच्चे क्यों रोते हैं?
जानिए बच्चे क्यों रोते हैं?
भूख
नई मदर के लिए यह पहचान करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है कि बच्चा क्यों रो रहा है लेकिन अगर बच्चा रो रहा है तो पहला कारण यह हो सकता है कि शायद उसे भूख लगी हो क्योंकि बच्चे रोने के जरिए ही अपनी भूख को व्यक्त कर पाते हैं। ऐसे में बच्चों की भूख को समझना भी बहुत जरूरी है ताकि आप सही टाइम पर उसे फीड कर पाए।
गैस
कई बार बच्चों के पेट में गड़बड़ भी होती है जिस कारण वे रोने लग जाते हैं। जब उन्हें अपने पेट में अनकंफरटेबल महसूस होता है तो वह रोना शुरू कर देते हैं। गैस या COLIC के कारण बच्चों के पेट में गड़बड़ हो सकती है। अगर बच्चा खाने के बाद भी रो रहा है तो जरूर उसके पेट में कोई समस्या है। ऐसे में आप उन्हें राहत देने वाला कुछ दे सकते हैं जिससे वह शांत हो जाए।
माँ की जरूरत
कुछ देर के बाद बच्चे को मां के पास जाना होता है या फिर उसे ऐसा लगता है कि कोई उसे अब होल्ड कर ले। जब उसे यह सब नहीं मिलता है तब भी वह रोने लग जाता है। ऐसे में आपके बच्चे को बीच-बीच में चेक करते रहना चाहिए और उसे अपनी गोद में उठाते रहना चाहिए और ज्यादा समय उसे अकेले नहीं छोड़ना चाहिए। अगर बच्चा सो भी रहा है तब भी आप उसे बार-बार चेक करते रहें ताकि आप उसके रोना शुरू होने से पहले ही उसकी जरूरत को समझ पाए।
डायपर चेंज करने की जरूरत
बहुत बार ऐसा भी होता है कि बच्चे का डायपर चेंज करने वाला होता है जिस कारण उसे अनकंफरटेबल महसूस होता है इस वजह से भी वह रोने लग जाता है। इसलिए बच्चे का डायपर समय-समय पर चेंज करते रहें क्योंकि गंदे डायपर की वजह से बच्चे को रैशेज भी हो सकते हैं और यह अनहाइजीनिक भी है। अगर बच्चे का डायपर साफ भी है तब भी समय-समय पर उसे बदलते रहे क्योंकि एक डायपर को लंबे समय तक इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
दर्द
कई बार बच्चों के कुछ हिस्सों में दर्द होता है जैसे शायद किसी कपड़े की वजह से उन्हें ऐसा हो सकता है या फिर आपने उनके बालों को ज्यादा कसकर बांध दिया है तो भी वे अनकंफरटेबल महसूस कर सकते हैं। ऐसे में आपको चेक करना चाहिए कि बच्चों को कहीं पर दर्द तो नहीं हो रहा है या फिर कुछ उसके आसपास ऐसा तो नहीं है जो उसे अनकंफरटेबल कर रहा है।
बीमारी
जब बच्चा बीमार होता है तो तब भी वह रोने लग जाता है। ऐसे में आपको बच्चे का चेकअप जरूर करवाना चाहिए और बच्चे का तापमान भी चेक करते रहना चाहिए। कई बार बच्चे बीमार होते हैं जिस वजह से रोते ही रहते हैं। उन्हें बहुत ज्यादा तकलीफ होती है लेकिन बोलकर नहीं बता सकते हैं। इसलिए बच्चे का रेगुलर चेकअप जरूर करें।
बच्चे के रोने का एक कारण नहीं होता है। छोटी उम्र में बच्चों की भाषा रोना होता है। अगर उसे आपसे कुछ चाहिए होगा या फिर वह किसी तकलीफ में होगा तो वह आपको रोकर ही बताएगा। ऐसे में एक मां होने की नाते आपको यह समझना पड़ेगा कि बच्चा कब किस बात के लिए रो रहा है और अगर बच्चा ज्यादा देर तक रो रहा है या फिर आपसे हैंडल नहीं हो रहा है तो आपको एक बार डॉक्टर से जरूर मिलना चाहिए।