Gender Neutral Parenting: कैसे पेरेंट्स करें बराबरी की शुरुआत घर से

जेंडर न्यूट्रल पेरेंटिंग की शुरुआत घर से होती है। जब माता-पिता बेटा-बेटी में फर्क नहीं करते, तभी बच्चे समानता और सम्मान की असली सीख पाते हैं।

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Deepika Aartthiya
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Photograph: (Pinterest via StockCake)

घर एक ऐसी जगह है जहां बच्चों की सोच और व्यक्तित्व बनने की शुरुआत होती है। अगर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे बड़े होकर एक-दूसरे को समानता और सम्मान की नज़रों से देखें और भेदभाव जैसी सोच न रखें, तो इसकी शुरुआत बचपन से करनी चाहिए।

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अपने बच्चों में जेंडर के आधार पर फर्क ना करना और उन्हें बराबरी का एहसास दिलाना ही ज़ेंडर न्यूट्रल पेरेंटिंग कहलाता है। ये न केवल बच्चों के व्यक्तित्व और सोच पर गहरा असर डालती है। बल्कि भविष्य में समाज को एक नए नज़रिए से देखने के लिए भी तैयार करती है। आइए जानते है इसके लिए आपको क्या कदम उठाने होंगे।

Gender Neutral Parenting: कैसे पेरेंट्स करें बराबरी की शुरुआत घर से

1. समान जिम्मेदारीयां देना

घर के हर बच्चे को चाहे फिर वो लड़का हो या लड़की बिना किसी भेदभाव के घर के छोटे-छोटे काम जैसे कमरे की सफाई, कपड़े फॉल्ड करना, बर्तन धोना आदि सामान्य जिम्मेदारियों के रुप में दें। इससे दोनों बच्चों में ये समझ बनेगी कि कोई भी काम जेंडर स्पेसिफिक नहीं होता हैं।

2. भावनाओ को व्यक्त की आज़ादी

अक्सर घरों में देखा जाता है कि लड़कों को रोने या अपने इमोशंस को एक्सप्रेस करने से रोका जाता है। जबकि लड़कियों को अपनी फीलिंग्स को खुल कर एक्सप्रेस करने दिया जाता है। जेंडर न्यूट्रल पेरेंटिंग हर बच्चे को अपने भावनाओं को व्यक्त करने की आज़ादी देती है। जिससे वो अपने इमोशंस को समझना और संभालना सीखते है।

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3. खेल और हॉबीज़ में समानता

बच्चों को अपनी पसंद और रुचि के अनुसार खेल और हॉबीज़ चुनने की आज़ादी दें, चाहे वे बेटा हों या बेटी। जेंडर के आधार पर कोई रोक रोक न लगाएं। इससे बच्चों में आपस में समानता और ख़ुद पर विश्वास बढ़ता है। 

4. भाषा और शब्दों पर ध्यान

बच्चों से बात करते समय अपने शब्दों पर ध्यान दें। ‘लड़की की तरह रोना बंद करो’ या ‘लड़कों जैसी मेहनत करो’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल न करें। ये बच्चों के मन पर गलत इम्प्रैशन डालता है और समानता की भावना को भी कमजोर करता हैं।

5. रोल मॉडल बनें

माता पिता ही बच्चों के रोल मॉडल होते हैं। बच्चे आपसे अच्छी-बुरी आदतें और बातें सीखते हैं। ऐसे में आप उन्हें अपने शब्दों और ऐक्शंस से से दिखाएँ कि घर में समानता, जिम्मेदारी और सम्मान पर सभी का बराबर हक़ हैं।

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