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पेरेंटिंग को जितना आसान समझा जाता है, दरअसल यह उतना आसान काम नहीं है। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है और बाहर की दुनिया में कदम रखता है, माता-पिता हर समय उसके साथ तो नहीं रह सकते। ऐसे में बच्चे को बुरी संगत से बचाना बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी बन जाती है। क्योंकि बच्चे को सही और गलत का स्पष्ट ज्ञान नहीं होता। उसका फ्रेंड सर्कल कैसा है या वह किन लोगों के बीच उठ-बैठ रहा है। ये सब बातें बेहद अहम होती हैं और माता-पिता को इस पर नज़र रखना ज़रूरी है। लेकिन ध्यान रहे, बच्चे की गलतियों को सिर्फ डाँट-डपट या मारपीट से सुधारना संभव नहीं है। तो फिर कैसे बच्चे को गलत संगति से बचाया जा सकता है? आइए इस पर बात करते हैं-
पेरेंटिंग टिप्स: बच्चों को गलत संगति से कैसे बचाएं?
घर का माहौल बनाएँ सकारात्मक
सबसे पहले ज़रूरी है कि घर का माहौल ऐसा हो जहाँ माता-पिता बच्चों के लिए एक रोल मॉडल बन सकें। बच्चा वही सीखता है जो वह अपने आसपास देखता है। अगर माता-पिता सिगरेट, शराब जैसी आदतों में लिप्त हैं, फिजूलखर्ची करते हैं या हर समय झगड़ते रहते हैं, तो बच्चे के भीतर भी वही आदतें विकसित होने लगती हैं। इसलिए घर का वातावरण सकारात्मक और अनुशासित होना चाहिए ताकि बच्चा सही उदाहरणों से सीख सके।
डर नहीं, भरोसे का रिश्ता बनाएँ
घर में डर का माहौल बिल्कुल नहीं होना चाहिए। अगर बच्चा माता-पिता से डरता है तो वह उनसे खुलकर बात नहीं कर पाएगा। ऐसे में वह बाहर के लोगों के साथ ज़्यादा जुड़ने लगेगा और अपनी बातें उनसे साझा करेगा। इससे माता-पिता उससे दूर हो सकते हैं और बच्चे के गलत संगति में जाने के आसार बढ़ जाते हैं। इसलिए बच्चे के साथ हमेशा दोस्ताना और सुरक्षित माहौल बनाना ज़रूरी है, ताकि वह सहज होकर अपनी बातें आपसे साझा कर सके।
तुलना नहीं, समझदारी से मार्गदर्शन
अगर बच्चा गलती करता है तो उसे शर्मिंदा करने या दूसरों से तुलना करने से बचें। जब आप कहते हैं कि “देखो, दूसरे बच्चे तुमसे अच्छे हैं,” तो इससे उसके अंदर आत्म-संदेह और हीनभावना पैदा होती है। वह खुद को कमतर समझने लगता है और अकेलापन महसूस करता है। इससे वह आपसे और दोस्तों से दूर होने लगता है। इसके बजाय बच्चे को सही और गलत के बीच फर्क समझाएँ। नरमी और समझदारी से उसे बताएं कि कौन सा रास्ता उसके लिए बेहतर है।
बच्चे की प्राइवेसी का सम्मान करें
बच्चे की प्राइवेसी का सम्मान करना बहुत ज़रूरी है, लेकिन इसके साथ यह भी ध्यान रखना होगा कि वह कहाँ जाता है, किन दोस्तों के साथ समय बिताता है और स्कूल या बाहर उसका माहौल कैसा है। इसके लिए माता-पिता को बच्चे के साथ समय बिताना चाहिए—उसके साथ बाहर घूमना, बातचीत करना और उसकी रुचियों में शामिल होना चाहिए। जब आप उसकी जिंदगी का हिस्सा बनेंगे तभी बच्चा भी अपनी बातें आपके साथ साझा करेगा। अगर आप उसे समय नहीं देंगे तो उम्मीद करना कि वह सब कुछ आपके साथ शेयर करेगा, यह संभव नहीं है।
पेरेंटिंग का मतलब सिर्फ बच्चे को पालना नहीं है, बल्कि उसे सही माहौल, सही मार्गदर्शन और भरोसे का रिश्ता देना भी है। जब आप बच्चे के साथ समय बिताते हैं और उसके दोस्त बनते हैं, तभी आप उसे गलत संगति से बचा सकते हैं और उसे जीवन की सही राह दिखा सकते हैं।