Privacy भी प्यार की भाषा है, महिलाओं को भी इसकी जरूरत है

प्राइवेसी जिसे हम हिंदी में गोपनीयता कहते हैं भारतीय समाज में इसे अच्छा नहीं माना जाता है। कई बार प्राइवेसी और चीजों को छुपाना एक ही जैसा समझ लिया जाता है लेकिन यह समान नहीं है। इन दोनों में बहुत बड़ा फर्क है।

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Rajveer Kaur
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Privacy Can Be Love Language: प्राइवेसी जिसे हम हिंदी में गोपनीयता कहते हैं भारतीय समाज में इसे अच्छा नहीं माना जाता है। कई बार प्राइवेसी और चीजों को छुपाना एक ही जैसा समझ लिया जाता है लेकिन यह समान नहीं है। इन दोनों में बहुत बड़ा फर्क है। प्राइवेसी में आप हर बात का जवाब देना किसी को जरूरी नहीं समझते हैं। यह आपकी चॉइस है और आपको नहीं लगता कि मुझे अपनी जिंदगी की जानकारी किसी को देनी चाहिए। आप बातें इसलिए छुपातें हैं क्योंकि आपको डर है या कुछ गलत कर रहे हैं या फिर आप किसी को नुकसान पहुंचाने की सोच रहे हैं। आइए जानते हैं कि महिलाओं को इसकी जरूरत क्यों है और कैसे यह एक प्यार की भाषा हो सकती है-

Privacy भी प्यार की भाषा है, महिलाओं को भी इसकी जरूरत है

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प्राइवेसी प्यार की भाषा है। अगर आप किसी के लिए कुछ करना चाहते हैं तो उसे आप प्राइवेसी दे सकते हैं। इससे उसकी लाइफ में आपकी अहमियत बढ़ जाएगी क्योंकि आप उनके लिए पजेसिव नहीं है। उनकी च्वाइस और डिसीजन की रिस्पेक्ट करते हैं। आपको यह समझ है कि उनकी भी एक लाइफ है और जरूरी नहीं है कि उनकी हर बात आपको पता ही होनी चाहिए।

महिलाओं को भी इसकी जरूरत है? 

Social Privacy

सबसे पहली बात महिलाओं को सोशल स्तर पर प्राइवेसी होनी चाहिए। वह कैसे कपड़े पहन रही है या उनके लहजा कैसा है, खाने में क्या खा रही है, किन लोगों से मिल रही है,मेल फ्रेंड्स हैं या फिर फीमेल इसमें किसी को कोई दिलचस्पी नहीं होनी चाहिए। यह उनकी पर्सनल चॉइस है और हम सबको इसकी रिस्पेक्ट जरूर करनी चाहिए।

Sexual Privacy

जब महिला के एक से ज्यादा सेक्सुअल पार्टनर होते हैं तब हम उसे झट से 'स्लट' लेवल कर देते हैं। उनके बारे में गलत बातें बनाई जाती हैं और भद्दा बोला जाता है लेकिन किसी को इसमें इतनी दिलचस्पी क्यों है? मर्दों के लिए तो हम ऐसा कोई स्पेसिफिक शब्द इस्तेमाल नहीं करते हैं जो घर में भी बीवी रखते हैं और बाहर जाकर तवायफ के साथ भी संबंध बनाते हैं। महिलाओं को यौन प्राइवेसी की भी बहुत जरूरत है। 

Eat/Drink

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लोग महिलाओं को उनके खाने-पीने पर भी जज करते हैं कि यह कितना ज्यादा खाती है, मोटी हो गई है-कम खाया करो या फिर यह नॉनवेज खाती है। इसके साथ ही इस बात पर जज करते हैं यह ड्रिंक या नशे करती है। देखिए नशे करना महिला और मर्द दोनों के लिए गलत है लेकिन महिलाओं का नशा करना उनके कैरेक्टर के साथ जुड़ जाता है जो बिल्कुल भी सही व्यवहार नहीं है। 

Read/Listen

पहले के समय में तो महिलाओं को अपनी मर्जी से लिखने और सुनने की आजादी भी नहीं थी। हर बात पर निगाह रखी जाती थी कि वह किस तरह का लिटरेचर पढ़ रही है और कैसे लोगों को सुनती है। आज भी कई लोग महिलाओं पर नजर रखते हैं लेकिन यह उनकी प्राइवेसी का खनन है।  यह उनकी जिंदगी  चॉइस और पसंद का भी मामला है। इसमें किसी को दखल देने की कोई भी अधिकार नहीं है। 

Culture/Religion

महिला भगवान को मानती है या नहीं या यह उसकी पर्सनल चॉइस है। ऐसा नहीं है कि उसे वही धर्म मानना है जो बचपन से उसके परिवार ने दिया है यहां उसका पति जिस धर्म को मान रहा है। उसकी भी अपनी एक लाइफ है। वह किसी भी धर्म और कल्चर को मान सकती है। इसमें भी उसको  प्राइवेसी की इजाजत होनी चाहिए।