Is it right to compare your child to others?: अक्सर घरों में सुना जाता है - "देखो, उस बच्चे को कहाँ से कहाँ पहुँच गया" या "तुम्हें भी उसकी तरह मेहनत करनी चाहिए" माता-पिता की यह आदत बच्चों की भलाई के लिए होती है, लेकिन क्या यह सच में मदद करती है? जब बच्चों की तुलना उनके भाई-बहनों, दोस्तों या पड़ोसियों से की जाती है, तो कई बार वे प्रेरित होने की बजाय दबाव महसूस करने लगते हैं। इससे उनका आत्मविश्वास कमजोर हो सकता है और वे खुद को दूसरों से कमतर समझने लगते हैं।
"देखो उस बच्चे को कहाँ से कहाँ पहुँच गया" क्या दूसरों से तुलना करना सही है?
क्या इसका कोई हल है? हां इसके बजाय, माता-पिता को अपने बच्चे की व्यक्तिगत क्षमताओं को पहचानना और प्रोत्साहित करना चाहिए। हर बच्चा अलग होता है, उसकी अपनी रुचि, क्षमता और गति होती है। उनकी तुलना करने की बजाय, अगर उन्हें खुद को बेहतर बनाने के लिए प्रेरित किया जाए, तो वे ज्यादा खुश और आत्मनिर्भर बन सकते हैं।
हर माँ-बाप चाहते हैं कि उनका बच्चा अच्छा करे, आगे बढ़े और सफलता हासिल करे। लेकिन अक्सर वे अपने बच्चे की तुलना दूसरों से करने लगते हैं -"देखो, शर्मा जी का बेटा इतना अच्छा कर रहा है" या "तुम्हारी क्लासमेट ने इतना बड़ा अचीवमेंट कर लिया"। ये बातें आम हैं, लेकिन क्या सच में ये सही हैं?
बचपन से ही बच्चों पर यह दबाव बन जाता है कि उन्हें दूसरों से बेहतर बनना है। जब माता-पिता बार-बार तुलना करते हैं, तो बच्चे खुद को कमतर महसूस करने लगते हैं। उनका आत्मविश्वास धीरे-धीरे कमजोर होने लगता है और वे अपनी काबिलियत पर शक करने लगते हैं। कई बार बच्चे केवल दूसरों से आगे निकलने के लिए पढ़ाई या दूसरे काम करते हैं, न कि अपने असली हुनर को पहचानकर।
हर बच्चा अलग होता है, उसकी अपनी गति होती है, उसके सपने और रुचियाँ अलग होती हैं। अगर किसी बच्चे को साइंस में रुचि है, तो जरूरी नहीं कि वह खेल में भी अव्वल हो। लेकिन जब उसकी तुलना किसी और से की जाती है, जो शायद खेल में बेहतरीन है, तो वह अपने आप को असफल मानने लगता है।
तुलना करने की बजाय बच्चों को उनकी खासियत पहचानने में मदद करनी चाहिए। उनकी रुचियों को समझें, उनका हौसला बढ़ाएँ और उन्हें यह एहसास कराएँ कि वे जैसे हैं, वैसे ही सबसे अनोखे और बेहतरीन हैं। एक बच्चे की सफलता उसकी खुद की ग्रोथ से तय होती है, न कि दूसरों से बेहतर होने से।
इसलिए अगली बार जब तुलना करने का मन करे, तो एक बार सोचें क्या आपका बच्चा खुश और आत्मनिर्भर है? अगर हाँ, तो वही उसकी असली सफलता है।