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जानिए कैसे आप चाइल्ड फ्री होने के फैसले को सपोर्ट कर सकते हैं?

ऐसा समझा जाता है कि शादी और बच्चे दोनों ही बहुत जरूरी हैं और मुख्य रूप से अगर कोई महिला इन बातों को नहीं मानना चाहती तो उसके चरित्र पर सवाल उठाए जाते हैं या फिर उसे जज किया जाता है

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Rajveer Kaur
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Marriage Hinders Career Growth for South Asian Women

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Understanding and Supporting the Decision to Remain Childless: समाज में रहने के लिए दो चीजें बहुत जरूरी हैं। एक आपकी शादी हो जाना और दूसरा बच्चे। अगर कोई व्यक्ति समाज की इन बातों को नहीं मानता है तो उसे स्वीकार नहीं किया जाता है। ऐसा समझा जाता है कि शादी और बच्चे दोनों ही बहुत जरूरी हैं और मुख्य रूप से अगर कोई महिला इन बातों को नहीं मानना चाहती तो उसके चरित्र पर सवाल उठाए जाते हैं या फिर उसे जज किया जाता है जिस कारण बहुत सारी महिलाएं न चाहते हुए भी शादी कर लेती हैं और माँ भी बन जाती है। चलिए आज बात करते हैं कि कैसे चाइल्ड फ्री होने के फैसले को सपोर्ट किया जा सकता है?

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जानिए कैसे आप चाइल्ड फ्री होने के फैसले को सपोर्ट कर सकते हैं?

खुद का सहारा बने 

अगर आपकी यह सोच है कि आप बच्चेपैदा नहीं करना चाहते हैं तो लोग आपको कहेंगे कि आपको बुढ़ापे में कोई सहारा नहीं मिलेगा। उनसे एक सवाल यह पूछने की जरूरत है कि इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि अगर बच्चे हो भी जाते हैं तो भी उन्हें सहारा मिलेगा। ऐसी बहुत सारी खबरें मिलती हैं जहां पर यह सुनने को मिलता है कि बच्चों ने माता-पिता को बेसहारा छोड़ दिया या फिर खुद को उनसे अलग कर लिया तो यह एक तार्किक बात है जिसका कोई भी अस्तित्व नहीं है।

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माँ बनना आपको डिफाइन नहीं करता 

यह बात उन लोगों को बहुत सुनने को मिलती है जो शादी या फिर बच्चे पैदा नहीं करना चाहते हैं। उन्हें हमेशा यह कहा जाता है कि आपका मन बाद में बदल जाएगा। लाइफ में एक बिंदु के बाद आपको शादी और बच्चे दोनों की जरूरत पड़ेगी। इसका मतलब यह है कि कोई भी इस आईडिया को स्वीकार करने को तैयार नहीं है कि शादी या बच्चों के बिना भी हमारी जिंदगी हो सकती है। हमारे समाज की कंडीशनिंग ऐसी है जिसमें हमें यह विश्वास दिलाया जाता है कि हम अकेले जिंदगी गुजार नहीं सकते हैं। महिलाओं को यह बताया जाता है कि उनकी जिंदगी तब ही पूरी होती है जब उनकी किसी के साथ शादी होती है और माँ बनना हर औरत के लिए जरूरी है।

रिप्रोडक्टिव ऑटोनॉमी

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जब कोई औरत बच्चा पैदा करने को मना कर देती है तो उसे यह बात भी सुनने को मिलती है कि औरत के नाम पर धब्बा है या फिर उसे एक औरत होकर ऐसी सोच नहीं रखनी चाहिए। समाज के अनुसार यह तो औरत का एक सौभाग्य है कि उसकी मां बनने का सुख मिला है लेकिन ऐसी बातों से महिलाओं के रिप्रोडक्टिव अधिकार छीन लिए जाते हैं। उनके अपने कोई फैसले नहीं रहते हैं। बहुत बार महिलाओं को अपनी मर्जी के खिलाफ जाकर भी बच्चे पैदा करने पड़ते हैं और उन्हें यही कहा जाता है कि ईश्वर की कृपा है कि तुम्हें मां बनने का मौका मिल रहा है। यह एक तरह का इमोशनल ब्लैकमेल है जो हर औरत के साथ होता है।

यह भी अंदाजा लगाया जाता है कि जो लोग बच्चे पैदा नहीं करना चाहते हैं तो उन्हें बच्चे पसंद नहीं है। यह बिल्कुल भी झूठ है। ऐसा भी हो सकता है कि उन्हें बच्चे सबसे ज्यादा पसंद हो लेकिन उनके बच्चा न पैदा करने के कोई और कारण भी हो सकते हैं। कोई भी व्यक्ति जो बच्चे पैदा नहीं करना चाहता है, वह उसे आपको कोई भी एक्सप्लेनेशन लेने की जरूरत नहीं है। यह उसका पर्सनल डिसीजन है और उसकी चॉइस है जिसकी हमें सबको रेस्पेक्ट करनी चाहिए। उसे बार-बार पूछना कि आप ऐसा क्यों नहीं चाहते हैं या फिर आप अपना बाद में मन भर लेंगे तो आप उनके एक ओपिनियन को रद्द कर रहे हैं जो की बहुत गलत बात है।

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