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Pitru Paksha 2024: इस वर्ष पितृ पक्ष में इन 5 कार्यों को करना न भूलें

पितृपक्ष, भारतीय पंचांग के अनुसार भाद्रपद पूर्णिमा से सर्व पितृ अमावस्या तक रहता हैऔर यह हमारे पूर्वजों के प्रति श्रद्धा और सम्मान प्रकट करने का महत्वपूर्ण समय है। यह अवधि आमतौर पर सितंबर के अंत से अक्टूबर की शुरुआत तक होती है।

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5 Things to Do During Shradh Paksha: पितृपक्ष, भारतीय पंचांग के अनुसार भाद्रपद पूर्णिमा से सर्व पितृ अमावस्या तक रहता हैऔर यह हमारे पूर्वजों के प्रति श्रद्धा और सम्मान प्रकट करने का महत्वपूर्ण समय है। यह अवधि आमतौर पर सितंबर के अंत से अक्टूबर की शुरुआत तक होती है और इसे विशेष धार्मिक महत्व प्राप्त है। इस समय को परिवारों द्वारा अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता और समर्पण प्रकट करने के लिए समर्पित किया जाता है। पितृपक्ष का उद्देश्य अपने पूर्वजों की आत्मा को शांति प्रदान करना और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति में मदद करना होता है। विभिन्न धार्मिक परंपराओं और रिवाजों के अनुसार, इस दौरान विशेष अनुष्ठान और पूजा की जाती है। यह समय पारंपरिक रीति-रिवाजों को निभाते हुए, पूर्वजों के प्रति आदर और श्रद्धा व्यक्त करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है। पितृपक्ष के दौरान किए गए कार्य न केवल पारिवारिक सुख-समृद्धि की ओर इशारा करते हैं, बल्कि व्यक्ति के व्यक्तिगत कर्मफल पर भी प्रभाव डालते हैं। 

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पितृपक्ष के दौरान किए जाने वाले महत्वपूर्ण कार्य

1. तर्पण

तर्पण, पितृपक्ष का सबसे महत्वपूर्ण संस्कार है। इसमें तिल के तेल, जल और कुश के द्वारा पितरों का तर्पण किया जाता है। यह माना जाता है कि तर्पण करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है। तर्पण करते समय, पितरों का नाम लेते हुए उन्हें श्रद्धापूर्वक स्मरण किया जाता है।

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2. पिंडदान

पिंडदान भी पितृपक्ष में किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण संस्कार है। इसमें गाय के गोबर से बना पिंड बनाकर उसे जल में प्रवाहित किया जाता है। यह माना जाता है कि पिंडदान करने से पितरों को भोजन मिलता है और वे प्रसन्न होते हैं। पिंडदान करते समय, पितरों के लिए श्रद्धापूर्वक प्रार्थना की जाती है।

3. दान

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विशेष रूप से, ब्राह्मणों को दान देने का बहुत महत्व है। पितृपक्ष के दौरान दान और पुण्य का विशेष महत्व होता है।दान करने से पितरों को पुण्य मिलता है और वे प्रसन्न होते हैं। यह समय गरीबों, जरूरतमंदों, ब्राह्मणों और साधुओं को दान देने का होता है। यह दान खाद्य सामग्री, वस्त्र, या पैसे के रूप में किया जा सकता है। इसके साथ ही, गरीबों की सहायता और सामुदायिक सेवा भी पुण्य अर्जित करने का एक तरीका है।

4. श्राद्ध

श्राद्ध, पितृपक्ष का एक अन्य महत्वपूर्ण संस्कार है। हर परिवार के पितर की विशेष तिथियाँ होती हैं जिन्हें पितृ तिथि कहा जाता है। इसमें पितरों के लिए भोजन पकाया जाता है और ब्राह्मणों को भोजन करवाया जाता है। यह माना जाता है कि श्राद्ध करने से पितरों को भोजन मिलता है और वे प्रसन्न होते हैं। श्राद्ध करते समय, पितरों के लिए श्रद्धापूर्वक प्रार्थना की जाती है। यह पूजा परिवार के सदस्य द्वारा व्यक्तिगत रूप से या सामूहिक रूप से की जा सकती है, जिसमें विशेष पूजा सामग्री और विधियों का पालन किया जाता है।

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5. दीप जलाना 

पितृपक्ष के दौरान अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए घर में दीपक जलाना एक महत्वपूर्ण कार्य है। दीपक जलाने से न केवल घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, बल्कि यह पूर्वजों की आत्मा को भी प्रसन्न करता है। इस समय विशेष रूप से पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाने की परंपरा भी है। 

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