Periods And Social Stigma: महिलाओं के लिए मासिक धर्म (पीरियड्स) एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो हर महीने उनके शारीर में होती है। यह एक स्वाभाविक घटना है जिससे महिलाएं मां बनने की क्षमता प्राप्त करती हैं। लेकिन दुर्भाग्यवश हमारे समाज में पीरियड्स के बारे में कुछ विषैले और नकारात्मक दृष्टिकोन हो सकते हैं, जिन्हें दुर्भाग्यवश कुछ लोग तोक्सिक भाषा के रूप में उपयोग करते हैं। यहां हम विचार करते हैं कुछ ऐसे टॉक्सिक डायलॉग जो पीरियड्स के बारे में सामाजिक दृष्टिकोन को दिखाने में इस्तेमाल हो सकते हैं, और हमें इन्हें समझने और समर्थन देने की आवश्यकता है।
पीरियड से जुड़े 5 टॉक्सिक डायलॉग जो अब बोलना बंद कर देना चाहिए
1. "तुम पीरियड्स से हो, इसलिए तुम्हें अपनी भावनाओं पर काबू रखना सीखना चाहिए।"
यह वाक्य एक गलत और नकारात्मक संदेश है, जो महिलाओं के पीरियड्स से जुड़ी भावनाओं को खारिज करता है। पीरियड्स के समय महिलाओं को उनके भावनाओं का समर्थन देना और उन्हें समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
2. "पीरियड्स आने के बाद तुम्हें खुद को अलग रखना चाहिए।"
यह वाक्य भी एक नकारात्मक संदेश है, जो महिलाओं को उनके स्वास्थ्य को नजरअंदाज करने की सलाह देता है। पीरियड्स के समय खुद का ध्यान रखना और सही देखभाल करना हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत जरूरी है।
3. "तुम्हें पीरियड्स में कुछ काम नहीं करना चाहिए, आराम करो।"
यह वाक्य महिलाओं को उनके पीरियड्स के समय में उनके क्षमता और सामर्थ्य को नजरअंदाज करने की सलाह देता है। हां, पीरियड्स के समय आराम जरूरी होता है, परंतु यह नहीं कहा जा सकता कि महिलाएं उस समय कुछ भी नहीं कर सकतीं।
4. "पीरियड्स हो गए? अब तो इनके चलते सब ठीक रहेगा!"
यह वाक्य एक अन्य नकारात्मक धारणा है जो पीरियड्स को सिर्फ एक अवरोधक घटना मानता है। पीरियड्स केवल एक दिन के लिए नहीं होते, इसके साथ जुड़ी समस्याएं भी हो सकतीं हैं जिन्हें हमें गंभीरता से लेना चाहिए। अगर किसी महिला को पीरियड्स के समय किसी तरह की समस्या होती है, तो उसे समझने और सहायता प्रदान करने की जरूरत होती है।
5. "तुम पीरियड्स के समय अपने दोस्तों से दूर रहो।"
यह वाक्य फिर से एक गलत धारणा है जो महिलाओं को सोशल इंटरैक्शन से वंचित करता है। पीरियड्स के समय भी महिलाएं अपने दोस्तों के साथ समय बिता सकतीं हैं और अपने मन की बातें साझा कर सकतीं हैं।
पीरियड्स एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और हर महिला का अधिकार है इसके बारे में खुल कर बात करने का। हमें समझना होगा कि पीरियड्स एक स्वाभाविक प्रक्रिया है जो हमारे शारीर में होती है, और हमें इसे शर्म के साथ नहीं, बल्कि सम्मान और समर्थन के साथ देखना चाहिए।