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Embrace Change: माँ से बेटियों को सुनने को मिलती हैं ये 7 सेक्सिस्ट बातें

ब्लॉग: समाज में लड़कियों को बचपन से ही कुछ सेक्सिस्ट धारणाओं का सामना करना पड़ता है, जो अक्सर उनकी अपनी माताओं से ही सुनने को मिलती हैं।

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Dibya Debasmita Pradhan
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Sexist things the daughters get to listen

Image Credit: Pinterest

7 Sexist Things Daughters Get To Hear From Their Mothers: समाज में लड़कियों को बचपन से ही कुछ सेक्सिस्ट धारणाओं का सामना करना पड़ता है, जो अक्सर उनकी अपनी माताओं से ही सुनने को मिलती हैं। इन सेक्सिस्ट बातों को सुनकर बेटियाँ अपने आत्म-सम्मान और आत्म-निर्भरता को खो सकती हैं। यह आवश्यक है कि माताएं अपनी बेटियों को समानता, स्वतंत्रता और आत्म-सम्मान की महत्वता समझाएं। समाज की सोच को बदलने के लिए हमें अपने घरों से ही शुरुआत करनी होगी और बेटियों को सशक्त बनाना होगा।

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Embrace Change: माँ से बेटियों को सुनने को मिलती हैं ये 7 सेक्सिस्ट बातें

1. सबके प्रति अच्छा और विनम्र बनो

यह सीख दी जाती है कि बेटियों को हमेशा अच्छा और विनम्र बनना चाहिए। हालांकि, यह बुरी बात नहीं है, लेकिन जब यह सीमा से अधिक हो जाती है, तो बेटियाँ अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने से डर सकती हैं। उन्हें यह समझना चाहिए कि आत्म-सम्मान भी महत्वपूर्ण है और कभी-कभी "ना" कहना भी आवश्यक होता है। बेटियों को समझना चाहिए कि सम्मान देना और पाना दोनों महत्वपूर्ण हैं और उन्हें अपने आत्म-सम्मान के साथ समझौता नहीं करना चाहिए।

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2. कपड़ों को लेकर उम्मीदें

बेटियों को मां ही सिखाती हैं कि उन्हें किस तरह के कपड़े पहनने चाहिए ताकि वे समाज में स्वीकार्य हों। "ऐसे कपड़े पहनोगी तो लोग क्या कहेंगे?" जैसी बातें अक्सर सुनने को मिलती हैं। इस तरह की सोच उन्हें अपनी पसंद के कपड़े पहनने की आजादी से वंचित कर सकती है। बेटियों को यह समझने की जरूरत है कि अपने शरीर और पहनावे पर उनका खुद का अधिकार है।

3. धार्मिक होना ही संस्कारी होना है

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अक्सर बेटियों को सिखाया जाता है कि धार्मिक होना ही संस्कारी होने का प्रमाण है। हालांकि धार्मिकता एक व्यक्तिगत पसंद हो सकती है, लेकिन इसे संस्कारों का पैमाना बनाना उचित नहीं है। संस्कार और नैतिकता व्यक्ति के कर्मों और आचरण से मापी जाती है, न कि उसकी धार्मिकता से।

4. उत्पीड़न के खिलाफ आवाज न उठाना

कई माताएं अपनी बेटियों को यह सिखाती हैं कि उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने के बजाय चुप रहकर सहें, ताकि परिवार की बदनामी न हो। यह सोच उन्हें कमजोर बनाती है और उत्पीड़न को बढ़ावा देती है। बेटियों को यह जानने की जरूरत है कि उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाना उनका हक है और यह उनके आत्म-सम्मान के लिए आवश्यक है।

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5. घर को संभालना आना चाहिए, यह तुम्हारी परवरिश को दर्शाता है

मांओं द्वारा बेटियों को सिखाया जाता है कि उन्हें घर को अच्छे से संभालना आना चाहिए क्योंकि यह उनकी परवरिश को दर्शाता है। हालांकि, घर संभालना एक महत्वपूर्ण कौशल है, लेकिन इसे सिर्फ बेटियों की जिम्मेदारी मानना गलत है। यह जिम्मेदारी सभी सदस्यों की होनी चाहिए।

6. रिश्तों में समझौता करना सीखो

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बेटियों को यह सिखाया जाता है कि उन्हें रिश्तों में हमेशा समझौता करना चाहिए। हालांकि, समझौता रिश्तों को मजबूत बना सकता है, लेकिन जब यह एकतरफा हो, तो यह आत्म-सम्मान को चोट पहुंचा सकता है। बेटियों को यह समझना चाहिए कि रिश्ते में दोनों पक्षों का समान योगदान और समझौता जरूरी है।

7. करियर महत्वपूर्ण है, लेकिन परिवार पहले आता है

मांओं द्वारा बेटियों को यह सिखाया जाता है कि उनका करियर महत्वपूर्ण है, लेकिन परिवार पहले आता है। यह सोच उनके करियर को पीछे छोड़ने के लिए मजबूर कर सकती है। बेटियों को यह समझने की जरूरत है कि वे अपने करियर और परिवार दोनों को संतुलित कर सकती हैं और दोनों ही महत्वपूर्ण हैं।

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