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भारत के अलग-अलग भागों में मासिक धर्म (पीरियड) को लेकर मान्यताएं

भारत में महिलाओं के पीरियड्स से रिलेटेड बहुत सी मान्यताएं मौजूद हैं। जो अलग-अलग क्षेत्र में अलग हैं। आज भी लोग पीरियड से जुड़े बहुत से मिथकों को सच मानते हैं और उन्हें इस दौरान बहुत से काम करने से रोकते हैं और दूर रखते हैं।

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Priya Singh
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Periods(Unsplash)

Beliefs Regarding Periods In Different Parts Of India (Image Credit - Unsplash)

Beliefs Regarding Periods In Different Parts Of India: भारत में महिलाओं के पीरियड्स से रिलेटेड बहुत सी मान्यताएं मौजूद हैं। जो अलग-अलग क्षेत्र में अलग हैं। ये ऐसी मान्यताएँ हैं जो कहीं न कहीं महिलाओं के लिए सही नहीं हैं। आज भी लोग पीरियड से जुड़े बहुत से मिथकों को सच मानते हैं और उन्हें इस दौरान बहुत से काम करने से रोकते हैं और दूर रखते हैं। लोग इस चीज को बिलकुल भी नार्मल नहीं लेते की पीरियड महिलाओं के जीवन की एक सामान्य बात है और यह हर महीने होती है। यह कोई ऐसी समस्या नहीं है ना ही बीमारी है कि इस दौरान प्रतिबन्ध लगायें जाएँ। हालाकि बदलाव हों रहे हैं लेकिन फिर कुछ अभी भी बहुत से ऐसे काम मौजूद हैं जो नहीं होने चाहिए।

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भारत के अलग-अलग भागों में मासिक धर्म (पीरियड) को लेकर मान्यताएं

1. उत्तर भारत की पारंपरिक प्रथाएँ

एकांतवास
उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में, मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को पारंपरिक रूप से परिवार के बाकी सदस्यों से एकांत में रखा जाता है। वे एक अलग कमरे या क्षेत्र में रहती हैं।

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प्रतिबंध
महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान धार्मिक स्थानों में प्रवेश करने या धार्मिक गतिविधियों में भाग लेने पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है। साथ ही खाना बनाने, अचार छूने जैसी तमाम चीजों पर प्रतिबन्ध है।

2. दक्षिण भारत की पारंपरिक प्रथाएँ

मासिक धर्म झोपड़ियाँ
ऐतिहासिक रूप से दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में मासिक धर्म झोपड़ियाँ की परंपरा प्रचलित थी जहाँ मासिक धर्म वाली महिलाएँ अपने मासिक धर्म के दौरान रुकती थीं। हालाकि अब इस प्रथा की व्यापक रूप से निंदा की जाती है और यह अवैध है और कम भी हो चुका है।

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प्रतिबंध
अन्य क्षेत्रों के समान दक्षिण भारत के कुछ मंदिरों में मासिक धर्म वाली महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध है और साथ ही घरेलू कामों में भी उनपर प्रतिबन्ध लगाये जाते हैं।

3. पूर्वी भारत की पारंपरिक प्रथाएँ

प्रतिबंध
पूर्वी भारत के कुछ ग्रामीण इलाकों में अभी भी मासिक धर्म से जुड़ी कड़ी वर्जनाएँ हैं। मासिक धर्म के दौरान महिलाएं अलग-थलग रहती हैं या उनकी गतिविधियाँ प्रतिबंधित होती हैं। कुछ समुदायों में मासिक धर्म से संबंधित अंधविश्वास भी प्रचलित हैं।

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एनजीओ पहल
विभिन्न गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) पूर्वी भारत में मासिक धर्म स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान करने और मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन में सुधार करने के लिए काम कर रहे हैं।

4. पश्चिम भारत की पारंपरिक प्रथाएँ

विविध रीति-रिवाज
पश्चिम भारत विविध है और मासिक धर्म प्रथाएं एक समुदाय से दूसरे समुदाय में व्यापक रूप से अलग होती हैं। महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों के शहरी क्षेत्रों में आधुनिक दृष्टिकोण की ओर अधिक तेजी से बदलाव देखा गया है, जिसमें सख्त मासिक धर्म संबंधी वर्जनाओं पर कम जोर दिया गया है।

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हालाकि समय के साथ भारत के हर एक क्षेत्र में इन बातों में बदलाव आया है लेकिन कुछ क्षेत्रों में आज भी ये प्रथाएं मौजूद हैं और लोगों के बीच आज भी पीरियड को लेकर एजुकेशन की कमी है। समय के साथ इस चीज को लोगों के बीच लाना जरूरी है कि पीरियड महिलाओं की जिन्दगी का एक अभिन्न हिस्सा है और उसमें कुछ भी अछूत या अलग रखने लायक नहीं है।

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