पित्तरसत्ता सोच ने सदियों से हमारे समाज को जकड़ रखा है। यह हमारे लोगों की सोच में घर कर चुका हैं। अब समय आ गया है कि हम इस सोच को खतम कर दे जो सालों से घर कर चुकी है।इसे तोड़ने में हमें समय लग सकता हैं लेकिन यह नामुमकिन भी नहीं हैं। अगर हम इसे घर से ही शुरू करें तब भी इसे ख़त्म किया जा सकता है।
पित्तरसत्ता क्या है?
पित्तृसत्ता एक समाजिक ढांचा हैं जो कि मर्द प्रधान हैं। कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के अनुसार, “एक ऐसा समाज जिसमें सबसे बुजुर्ग पुरुष परिवार का मुखिया होता है, या एक ऐसा समाज जिसमें पुरुष अपने फायदे के लिए अपनी शक्ति का इस्तेमाल करते हैं”।
इस समाजिक ढांचे के मुताबिक सभी हक़ और अधिकार मर्दों के पास होंगे औरतों को सिर्फ उनके हक़ को मानना हैं औरतों के पास कोई अधिकार या राय नहीं हैं।
Break The Patriarchy: सदियों की पित्तरसत्ता सोच को कैसे तोड़े
- घर से करे शुरुआत
किसी भी चीज़ की शुरुआत घर से होती है। अगर आप इस पित्तृसत्ता सोच को तोडना चाहते है इसके बारे में अपने घर में बात करें। आप बच्चों के अंदर जेंडर से जुडी हुई किसी भी चीज़ को फिट होने दे। आप उनकी जेंडर न्यूट्रल पैरेंटिंग करें। बच्चों के साथ -साथ घर के और भी सदस्यों के साथ फेमिनिज्म और बराबरी की बातों को सहज करें। - न कहना सीखें
सिर्फ इसलिए कि घर के बढे या समाज चाहता है आप यह मत करें, ऐसे कपडे मत पहने, वहां मत जाएं आप उनको मना कीजिए ,यह लाइफ आपकी जैसे आप जीना चाहते है और रहना चाहते है यह आपकी चॉइस है। किसी भी व्यक्ति को कोई अधिकार नहीं हैं अगर वह आप की चॉइस कि इज़्ज़त नहीं करते तो उन्हें मना कर दीजिए। - सेक्स, पीरियड्स, सेक्सुअलिटी के बारे में खुलकर बात होनी चाहिए
आज भी लोग इन तीनों चीज़ों के बारे में बात करने में सहज नहीं हैं समाज ने हमेशा ही इन चीज़ों के बारे में बात करने में शर्म मानी है या फिर इसको टेबू टॉपिक बनाकर रख दिया है। आप घर में सेक्स और पीरियड के बारे में बात करें। लड़कियां आज भी पीरियड आने पर बात करने से घबराती है उन्हें इसके बारे में बात करने असहज लगता है इसके साथ ही सेक्स के बारे कोई बात नहीं करता है बच्चों को सेक्स एजुकेशन नहीं दी जाती हैं। इन चीज़ों में पिता, भाई और पति सब शामिल होने चाहिए। - घर के काम बाँट कर होने चाहिए
घर का काम अकेले औरत की ज़िम्मेदारी नहीं हैं। यह मर्द की भी ज़िम्मेदारी बनती हैं कि उन्हें पूरा करें। औरत ने अकेली ने ज़िम्मेदारी नहीं ले राखी है इसके साथ बच्चों में फर्क मत डालें को अगर बाहर का कम बता रहे तो लड़का भी घर का काम सीखें।
इसके साथ ही याद रखिए यह सब चीज़ें एक दिन में नहीं हो सकती क्योंकि सदियों से हमारे अंदर इन बातों को भरा गया हैं। इन सब चीज़ों को बदलने में समय लगेगा। आप अपने पेरेंट्स या समाज को एक दिन में नहीं यह भुला सकते है उन्हें इन चीज़ों से बाहर निकलने में समय लग सकता है।