Effect Of Postive Affirmation: अक्सर आपने सुना होगा कि जब भी आपके मन में किसी भी प्रकार की नेगेटिविटी आती है तो लोग बोलते हैं कि अच्छा सोचो तो अच्छा अच्छा होगा। जब आप नेगेटिव होते हैं तो यह बात सुनने के बाद अक्सर लगता है कि मेरे अच्छा सोचने से मेरे साथ अच्छा होने का क्या लेना है आईए जानते हैं इस बात में कितनी सच्चाई है।
अच्छा सोचोगे तो अच्छा-अच्छा होगा! इसके पीछे की सच्चाई जानकर आप भी रह जाएंगे दंग
हमारी बॉडी सुनती है हमारी बातें
जब हम खुद के बारे में कुछ नेगेटिव बातें बोलने लग जाते हैं तो हमारी बॉडी भी उसे पर असर करती है। एक थ्योरी बोलती है कि यदि आप खुद के बारे में 10 दिन तक केवल बुरा बोलते रहे और ऐसी बातें जो आपके साथ हुई भी नहीं है या फिर जो प्रॉब्लम आपको है भी नहीं। यदि आप 10 दिन तक वही प्रॉब्लम दोहराते रहे तो आपको उन 10 दिनों में असलियत में उस प्रॉब्लम का सामना करना पड़ सकता है।
पॉजिटिव एफर्मेशन दवा के जितना काम करता है
- कई बार एक बीमार व्यक्ति को थेरेपी की आवश्यकता पड़ती है या फिर किसी बीमार व्यक्ति के पास आसपास अच्छा बोलने वाले लोगों का होना बहुत जरूरी है क्योंकि अक्सर एक बीमार व्यक्ति को यह लगता है कि उसकी जिंदगी में कुछ भी अच्छा नहीं चल रहा है नेगेटिव बेटी बढ़ने से बीमारी का बढ़ाने का भी खतरा होता है।
- यदि आप किसी दवा को खाएं जो कि आपकी किसी बीमारी को ठीक कर रही है पर उसे दवा को खाते वक्त आप यह सोचे हैं कि यह दवा मुझे ठीक नहीं कर सकती तो वह दवा सच में आपके ऊपर काम नहीं करेगी।
- उसी जगह यदि आप बड़ी से बड़ी बीमारी को ठीक करने के लिए कोई मामूली उपचार भी करते हैं मगर उसे उपचार पर पूरे तरीके से भरोसा करते हैं तो वह सच में आपके ऊपर बहुत अच्छा असर दिखाती है।
पॉजिटिव एफर्मेशन की कमी से हो सकता है डिप्रेशन
कई बार लोगों के अंदर इतनी ज्यादा निगेटिविटी होती है और खासकर यह खुद के लिए इतनी ज्यादा हानिकारक होती है कि लोग अक्सर अकेलापन और डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं उनके अंदर तनाव बढ़ने लग जाता है।
खुद को मोटिवेट रखने के लिए अच्छा बोलना जरूरी है
खुद को मोटिवेट रखने के लिए सेल्फ एफर्मेशन बहुत जरूरी होता है। इससे आपको अपने काम को करने के लिए मोटिवेशन मिलता है। लोगों से बात करने के लिए मन में इच्छा भी आती है और खुद के अंदर कॉन्फिडेंस बढ़ता है।