Fearless Queens: भारत को आजादी दिलाने के लिए लोगों ने कई बलिदान दिए और कई लड़ाई लड़ी है। इनमे से कुछ ऐसी रानियां भी है जिन्होंने इसमे भाग लिया और साथ ही अंग्रेजों को सबक भी सिखाया। वह मर्दों के साथ कंधों से कंधे मिलाकर निडर हो कर साथ लड़ाई लड़ी है। यह रानियों ने भारत को आजादी दिलाने मे और अंग्रेजों को मुहँ तोड़ जवाब देने मे भूमिका निभाई है
भारत की महारानी जिन्होंने अंग्रेजों को सिखाया सबक
1. Jhansi Ki Rani
लक्ष्मीबाई का जन्म वाराणसी मे हुआ और बचपन मे उनका नाम मणिकर्णिका था। वह झांसी के महाराज गंगाधर राव से शादी की जिसके बाद वह झांसी की रानी बनी। शादी के बाद उनका नाम लक्ष्मीबाई रखा गया। महाराज गंगाधर राव की मृत्यु के बाद लक्ष्मीबाई ने झांसी राज्य की रक्षा करने की जिम्मेदारी ली। वह अंग्रेज द्वारा झांसी पर कब्जा को रोकने के लिए कई लड़ाईयां लड़ी और अपनी जनता की रक्षा की।
2. Rani Avanti Bai
आवंती बाई लोधी का जन्म लोधी परिवार मे हुआ था। वह भारत की freedom fighter और रामगढ़ की रानी थी। उन्होंने विक्रमादित्य सिंह लोधी से शादी की जो रामगढ़ के राजा लक्ष्मण सिंह का पुत्र था। राजा लक्ष्मण सिंह की मृत्यु के बाद राजा विक्रमादित्य ने राजगद्दी संभाली। राजा जब बीमार थे तब उनके दोनों बेटे काफी छोटे थे और रानी आवंतीबाई ने राज्य मामले को संभाला। यह सुनकर अंग्रेजों ने राज्य को संभालने के लिए शेख सरबराहकर को नियुक्त किया जिन्हे मोहम्मद अब्दुल्लाह के साथ रामगढ़ भेज दिया। इसे अपमान मान कर रानी ने सरबराहकर को रामगढ़ से निकाल दिया। राजा की मृत्यु के बाद सारी जिम्मेदारी रानी पर आ गई।
3. Begum Hazrat Mahal
बेगम हज़रत महल अवध की बेगम थी। वह अवध के नवाब वाजीद आली शाह की दूसरी पत्नी थी। जब उनके पति को निकाल कर कलकत्ता भेज दिया गया और भारतीय विद्रोह शुरू हो गया तो वह अपने बेटे को अवध का वाली बना दिया। कुछ समय बाद उन्हे यह शासन मजबूरन छोड़ना पड़ा जिसके बाद उन्हे नेपाल मे रहने की जगह मिली जहां उनकी मृत्यु हो गई।
4. Velu Nachiyar
वेलु नचियार सिवगंगा की रानी थी। वह भारत की पहली रानी है जिन्होंने भारतीय ईस्ट कंपनी के खिलाफ जंग छेड़ दी। वह राजा छेलामूथू विजयरगुनाथ और रानी सकंदीमूथाथाल की एकलौटी पुत्री थी। उन्हे कई तरह की ट्रैनिंग दी गई थी जैसे मार्शल आर्ट और लड़ाई मे इस्तेमाल होने वाले हथियार का इस्तेमाल करना।
5. Kittur Chennamma
कित्तूर चेन्नम्मा कित्तूर की रानी थी। उन्होंने 1824 मे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ विद्रोह किया जिसमे उस कंपनी को हरा दिया लेकिन दूसरे विद्रोह के बाद उनकी मृत्यु हो गई। वह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी रही है।