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Image: (Freepik)
Home Remedies To Keep Uterus Healthy: यूट्रस यानी गर्भाशय महिलाओं के शरीर का सबसे संवेदनशील और महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। ये न केवल माँ बनने की प्रोसेस का केंद्र है बल्कि शरीर के हार्मोनल सिस्टम और मेंस्ट्रुअल साइकिल को भी बैलेंस रखने में यूट्रस की बड़ी भूमिका होती है। लेकिन आज के समय में खराब खान-पान और तनाव के कारण गर्भाशय से जुड़ी समस्याएँ तेजी से महिलाओं में बढ़ रही हैं। अगर आपको भी यूट्रस से संबंधित कोई समस्या है तो आप डॉक्टर से परामर्श लेने के साथ साथ कुछ आयुर्वेद घरेलू उपायों को अपना सकती हैं जो आपके यूट्रस को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।
यूट्रस हेल्थ के लिए घरेलू उपाय
बैलेंस और न्यूट्रिशियस डाइट
गर्भाशय की सेहत सीधा महिलाओं के डाइट से जुड़ी होती है। आप क्या जाती हैं, क्या नहीं खाती इसका असर भी आपके यूट्रस पर पड़ता है। अगर आपकी डाइट विटामिन, मिनरल्स और फाइबर से भरपूर होगा तो शरीर में सूजन कम होगी और हार्मोन बैलेंस बना रहेगा। हरी सब्जियाँ जैसे पालक, मेथी और बथुआ आयरन और फोलेट का अच्छा सोर्स होते हैं जो यूट्रस टिशूज को रिपेयर करने में मदद करते हैं। आप अपनी डाइट में ताजे फल जैसे सेब, अनार, पपीता और बेरीज़ शामिल कर सकती हैं क्योंकि यह सेल्स को डैमेज होने से बचाते हैं।
इसके अलावा लीन प्रोटीन जैसे मूंग, मसूर, दालें और अंडे खाने से गर्भाशय की मसल्स को मजबूती मिलती है। सीड्स और ड्राय फ्रूट्स जैसे अलसी के बीज, तिल, सूरजमुखी के बीज, बादाम और अखरोट में मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड और जिंक पाया जाता है जो गर्भाशय में सूजन को कम करते हैं और हॉर्मोन बैलेंस करने में मददगार होते हैं।
एक्सरसाइज और योग करें
केवल डाइट से ही यूट्रस हेल्थ को सही नहीं रखा जा सकता बल्कि फिजिकल एक्टिवनेस भी इसके लिए बहुत जरूरी होती है और इन excercise में सबसे ज्यादा जरूरी और असरदार पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज़ होती हैं जो गर्भाशय और उसके आसपास की मसल्स को मज़बूती देती हैं। ये एक्सरसाइज़ेस न सिर्फ पीरियड पेन को कम करती हैं बल्कि यूरिनरी सिस्टम को भी सपोर्ट करती हैं। योगासन जैसे कि भुजंगासन, बधकोनासन, और विपरीतकरणी गर्भाशय को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं। ये ब्लड फ्लो को बेहतर करते हैं और शरीर से टॉक्सिन्स बाहर निकालने में भी मदद करते हैं। नियमित योग और व्यायाम तनाव को कम करता है जो गर्भाशय से जुड़ी बीमारियों का एक बड़ा कारण होता है।
आयुर्वेदिक सामग्रियां
आयुर्वेद में गर्भाशय की देखभाल के लिए कई ऐसी औषधियाँ बताई गई हैं जो बेहद खास है और गर्भाशय की ताकत बढ़ाने और टॉक्सिंस को बाहर निकालने के लिए जानी जाती हैं। इनमें शतावरी सबसे पहले आती है। शतावरी महिलाओं के शरीर में हार्मोन को संतुलित रखती है और गर्भधारण में भी बहुत महत्वपूर्ण होती है। साथ ही यह यूट्रस की हेल्थ को भी बेहतर बनाती है। त्रिफला जो तीन फलों (हरड़, बहेड़ा, आंवला) से बनी होती है यह चूर्ण यूट्रस की सफाई के मदद करता है और डाइजेशन को मजबूत बनाकर बॉडी को अंदर से डिटॉक्स करता है। आंवल विटामिन C से भरपूर होता है जो यूट्रस सेल्स को रिपेयर करने और इम्यून सिस्टम को मज़बूत बनाने में मदद करता है।
हल्दी और अदरक का सेवन
हल्दी में कर्क्यूमिन पाया जाता है एक प्राकृतिक एंटी-इंफ्लेमेटरी तत्व है। यह तत्व गर्भाशय में सूजन को कम करता है और इसे इन्फेक्शन से भी बचाव करता है। महिलाओं के लिए रोजाना रात को हल्दी वाला दूध सोने से पहले पीना लाभदायक होता है। वहीं, अदरक बॉडी के टेंपरेचर में संतुलन लाता है और पीरियड्स पेन और क्रैंप्स को कम करता है। अदरक का पानी पीने और इसे सब्ज़ियों में डालकर खाने से गर्भाशय हेल्थी रहता है।