How Can Women Raise Their Voice Against Domestic Violence? बदलते दौर में महिलाओं के प्रती लोगों के व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आया है। आज भी लोग महिलाओं को पुरुषों से कम महत्व देते हैं।आज के समय की महिलाएं उन महिलाओं जैसी नहीं रहीं जो चुप रह कर सब सह जाती थीं। महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार के खिलाफ़ अब वो खुद खड़ी होती हैं और उस अपमान का करारा जवाब भी देती हैं। लोगो को यह साबित करना जरूरी हो गया है कि वो अब कमज़ोर नही रहीं न वो अब किसी से दब कर रहेंगी।
क्यों होती हैं महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार?
हमारा समाज एक ऐसा समाज है जो मूर्खतापूर्ण सोच रखता है। इस समाज में रहने वाले लोग जो आज भी ये मानते हैं कि पुरुषों की तुलना में महिलाएं मानसिक और शारीरिक दोनो रूप से पीछे हैं। इस समाज में केवल पुरुष ही नही बल्कि महिलाएं भी शामिल होती हैं जो खुद महिलाओं को पीछे करती हैं। महिलाओं का चुप रहना ही आगे जाकर हिंसा का कारण बनता है। घरेलू हिंसा के खिलाफ आवाज़ उठाना एक महत्वपूर्ण और साहसी कदम है।
घरेलू हिंसा के खिलाफ महिलाएं कैसे उठा सकती हैं आवाज?
1. शिक्षा
महिलाओं का शिक्षित होना बेहद आवश्यक है। शिक्षा से ही हम सही और गलत के बीच अंतर पहचान पाते हैं। शिक्षा के द्वारा हम खुद को ही नहीं बल्कि दूसरों को भी हिंसा से बचा सकते हैं। समय–समय पर समाज के कल्याण के लिए महिलाओं के लिए वर्कशॉप का आयोजन करना चाहिए जिससे उन्हें शिक्षित किया जा सके।
2. अपनों को अवगत कराएं
घरेलू हिंसा की जानकारी अपने भाई –बहन, माता –पिता, दोस्तों को ज़रूर दें। अगर वे इस बात से अवगत रहेंगे तो वो आपको सपोर्ट कर सकेंगे। आपकी मदद के लिए वह हमेशा साथ खड़े रहेंगे। कभी– कभी अकेले आवाज उठाना सही नही होता हमें किसी भरोसेमंद की ज़रूरत होती है जो कि हमारा साथ दे।
3. कानूनी कार्रवाई
भारत सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए बहुत से कानून बनाए हैं। महिलाओं को उन कानूनों के बारे में जागरुक कराना जरूरी है। उन्हें पूरा हक है अपने अधिकारों को जानने का। हिंसा की शिकायत पुलिस में दर्ज करवाएं और ये सुनिश्चित करें कि आरोपी पर कानूनी कार्रवाई हो रही हो।
4. एनजीओ (NGO)
देश में ऐसे बहुत सारे नॉन गवर्मेंट ऑर्गेनाइज़ेशन हैं जो महिलाओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाते हैं। जिससे महिलाएं मदद की गुहार लगा सकती हैं। महिलाओं की सुरक्षा के लिए यह ऑर्गेनाइजेशन शेल्टर की सुविधा भी उपलब्ध कराती हैं।
5. सेल्फ डिफेंस
महिलाओं को मेंटली और फिजिकली तैयार होना चाहिए।अगर उनके साथ घरेलू हिंसा हो रही तो वो अपनी सुरक्षा के लिए बल का भी उपयोग कर सकती हैं जो कानूनी तौर पर वर्जित नहीं है। अगर वह बल का प्रयोग करने में असमर्थ रहती हैं तो उन्हें उस स्थान से निकलकर एक सुरक्षित स्थान पर जाना चाहिए, साथ ही उन्हें घरेलू हिंसा के सबूत भी अपने साथ ले जाने चाहिए।
सूचना: इस आलेख को केवल संपादित किया गया है। मौलिक लेखन स्नेहां यादव का है।