What To Do If Husband Commits Domestic Violence: किसी भी हरकत, जिससे किसी महिला या अन्य व्यक्ति को ठेस पहुंचे, उसे एब्यूज कहा जाता है। भारतीय समाज में अक्सर पुरुष अपने आपको महिलाओं के सामने अधीन और बेहतर समझते हैं। ऐसे माहौल में, महिलाएं घरेलू हिंसा के खतरे का सामना करती हैं, लेकिन उन्हें इससे बाहर निकलने में सामाजिक शर्मिंदगी का डर रहता है, जिसके कारण वे जरूरी कदम नहीं उठा पातीं। महिलाएं अक्सर अपने पति के पैसों पर निर्भर होती हैं, जिससे उन्हें हिंसा सहना पड़ता है।
हमारा समाज पुरुष-मुख्य या पुरुषप्रधान होने का ट्रेडिशन नज़रिया रखता है, जिससे पुरुष महिलाओं को ज्यादा कमजोर समझते हैं। हालांकि, आजकल के समय में यह स्थिति बदल गई है और महिलाएं अब पुरुषों के साथ बराबर हैं, जिसे कुछ पुरुष सह नहीं पाते हैं। ऐसे में, अगर किसी पुरुष की पत्नी उससे आगे है, तो वह अपनी मेल ईगो को संतुष्ट करने के लिए घरेलू हिंसा जैसी चीजों का सहारा लेते हैं।
अगर पति करें घरेलू हिंसा तो क्या किया जाए?
क्यों करते हैं आखिर पति अपनी पत्नी पर घरेलू हिंसा
1. उनकी खुद की सुरक्षा को लेकर उन्हें चिंता है कि उनकी पत्नी भी उनसे आगे न निकल जाए।
2. समाज में उन्हें महिलाओं के साथ समानता और सम्मान की चाहत है, ताकि कोई उन्हें उनकी रौब और पहचान से बेखबर न कर सके।
3. समाज ने ही ऐसी सोच बना दी है कि पुरष को महिला से आगे रहना चाहिए
4. लड़ाई में अपना एगो बीच में ले आना।
5. जब पति-पत्नी के बीच असहमति हो, तो उन्हें ऐसा बर्ताव करना है।
6. अपनी पत्नी को सपोर्ट न करना बल्कि मालिकाना हक जताना।
7. अपनी पत्नी को कंट्रोल करने के लिए।
सच है कि हमें अक्सर इस तरह के लोगों के बारे में सुनने को मिलता है जो अपनी पत्नियों के साथ घरेलू हिंसा करते हैं। लेकिन क्या हम इन महिलाओं को इस दलदल से बचाने के लिए कुछ करते हैं? या क्या ये महिलाएं कोई कदम उठाती हैं? ऐसा कहना गलत न होगा कि इस समस्या के समाधान के लिए सही रास्ता नहीं पता है। लेकिन हम सभी कुछ कर सकते हैं।
महिलाएं अक्सर कोर्ट में कार्रवाई की ओर नहीं बढ़ती क्योंकि उन्हें समाज में छवि का ख्याल रखना पड़ता है, जिससे उन्हें शर्मिंदगी महसूस होती है। इसलिए, एक विशेष सेल बनाई गई है जिसमें महिला और उसके पति को सलाहकार उपलब्ध होता है, जो उन्हें समझाता है कि उन्हें अपने विवाह को कैसे बचाया जा सकता है और समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। यदि महिला फिर भी अपने पति के साथ नहीं रहना चाहती है, तो वह आगे न्यायिक कदम उठा सकती है।
अगर किसी महिला को घरेलू हिंसा का सामना करना पड़े, तो वह प्रोटेक्शन ऑफिसर के पास जा सकती है। हर राज्य सरकार अपने इलाके में प्रोटेक्शन ऑफिसर को अप्वाइंट करती है। यह अधिकारी महिला को हेल्प करता है, जैसे कि घर, आराम और मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध करवाने में मदद करता है।
प्रोटेक्शन ऑफिसर क्या काम करते हैं
1. महिला केस करने की इच्छा रखती है, तो पीओ उसकी मदद कर सकता है।
2. महिलाओं के अधिकारों के बारे में सही जानकारी देने में हेल्प करता है।
3. महिला के लिए सुरक्षित योजना तैयार की जाती है, ताकि वह फ्यूचर में हिंसा से बच सके।
4. मेडिकल सुविधाएं भी दी जाती हैं।
5. महिला मजिस्ट्रेट के पास एप्लीकेशन लिखने में मदद की जाती है।
6. सर्विस प्रोवाइडर के रूप में अप्वाइंटेड (Appointed) व्यक्ति का चयन किया जाता है, जो महिलाओं को रहने, खाने पीने और मेडिकल सुविधाओं को उपलब्ध कराते हैं।
भारत में कानून जो डायरेक्ट डोमेस्टिक वायलेंस से करें डील
भारत में, महिलाओं की सुरक्षा के लिए पहला एक्ट डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट 2005 लागू किया गया था। इसके तहत, महिलाएं अपने पति द्वारा किए जाने वाले हिंसा से बच सकती हैं और यदि पति उन्हें घर से निकालता है, तो वह इसकी शिकायत कर सकती हैं। यह एक सुरक्षित कानून है जिसका उपयोग न केवल मैरिड महिलाएं और लिव-इन रिश्तों में रहने वाली महिलाएं भी ऐसा कर सकती हैं।
दूसरा कानून भारतीय पेनल कोड का धारा 498ए (Section- 498A) है, जो एक क्राइमिनल एक्ट है। यदि कोई महिला के पति या उसके रिश्तेदार उसे ऐसी गतिविधियों में शामिल करते हैं जिससे उसे चोट पहुंचती है या वह आत्महत्या की सोचती है, तो उन्हें 3 साल की सजा हो सकती है।
घरेलू हिंसा समाज के लिए एक अभिशाप है और अगर आप या आपका कोई जानकार इसका सामना कर रही है तो उन्हें सही जानकारी दें और एक्शन लेने में मदद ज़रूर करें कि वह खुद को इस दलदल से बाहर निकाल सके।