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नई पीढ़ी की महिलाएं: Gen Z की महिलाएं कैसे अपनी पहचान बना रही हैं?

आज की महिला और पहले की महिला में बहुत बड़ा अंतर है। पहले के समय में तो महिलाओं को बोलने की आजादी नहीं थी। वही पर आज की महिला हर जगह पर पुरषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं।

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Rajveer Kaur
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How Gen Z Women Are Embracing Their Individuality: महिलाओं ने अपने आजादी के लिए बहुत लंबा सफर तय किया है लेकिन अभी भी यह लड़ाई खत्म नहीं हुई है। आज की महिला और पहले की महिला में बहुत बड़ा अंतर है। पहले के समय में तो महिलाओं को बोलने की आजादी नहीं थी। वही पर आज की महिला हर जगह पर पुरषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही है। उन्होंने इस पुरष प्रधान समाज में अपनी जगह बनाई और महिला होने की परिभाषा को दुबारा डिफाइन किया। उनका कहना है कि महिला होना आपकी कमजोरी नहीं बल्कि अपनी ताकत है। औरतों से जुड़े जिन मुद्दों के ऊपर बात नहीं होती थी लेकिन आज उन्हें सामान्य किया जा रहा है। चलिए इसके बारे में अधिक जानते हैं-

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 Gen Z की महिलाएं कैसे अपनी पहचान बना रही हैं?

खुलकर बात

आज की महिलाओं ने अपने आसपास ऐसा माहौल बनाना शुरू कर दिया है जिसमें वह सुरक्षित महसूस करें और उन्हें उनकी चॉइस के लिए जज ना किया जाए। महिलाओं ने टॉक्सिक रिलेशनशिप को छोड़ना नॉर्मलाइज कर दिया है। इस बात को समझ लिया है कि इसमें उनकी वेल्बीइं को ही नुकसान है और इससे कोई भी महान नहीं बन जाता है। आज महिलाएं खुलकर अपने साथ हो रहे अन्याय के ऊपर बात कर रही हैं। उन्होंनें को प्राथमिकता देनी शुरू किया और उनका यह मानना है कि अगर आप अपने लिए कुछ कर रहे हैं तो यह सेल्फिश होना नहीं बल्कि सेल्फ लव है।

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सेक्सुअल वेल्नेस

सदियों से महिलाओं की सेक्सुअल वेलनेस के ऊपर बात नहीं हुई लेकिन आज के समय में इसके ऊपर बात होनी शुरू हो गई है। बहुत सारी महिलाएं ऑर्गेज्म तक नहीं पहुंच पाती क्योंकि उन्हें उनकी शारीरिक जरूरतों के लिए शर्मिन्दगी महसूस करवाई जाती थी। अब महिलाओं के लिए मार्केट में बहुत सारे सेक्स टॉयज उपलब्ध हैं जो उनके प्लेजर का ध्यान रखते हैं। इसके साथ ही यह माना जाता था कि मास्टरबेशन महिलाओं के लिए नहीं है लेकिन अब इस मिथक को भी तोड़ा गया है। महिलाएं भी सोलो सेक्स इंजॉय कर सकती हैं। बहुत सारे ऐसे प्लेटफार्म हैं जो महिलाओं की यौन वैलनेस को लेकर बात करते हैं। 

स्टीरियोटाइप सोच को चैलेंज

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हमारे समाज में आज भी बहुत सारी स्टीरियोटाइप सोच मौजूद हैं लेकिन उनके ऊपर बात नहीं की जा रही है और ऐसी सोच को खत्म किया जा रहा है। अगर किसी को लगता है कि महिला को घर पर रहना चाहिए तो उसे चैलेंज किया जा रहा है। यह महिला की चॉइस कि उसे हाउसवाइफ बनना है या फिर एक वर्किंग वूमेन। अगर कोई महिला वर्किंग वुमन है तो घर संभालना अकेले उसकी जिम्मेदारी नहीं है। महिला अपनी लाइफ के फैसले लेने में सक्षम है और उसे किसी की वैलिडेशन की जरूरत नहीं। इसके साथ ही कोई भी पुरुष किसी महिला को पूरा नहीं कर सकता। हर महिला अपने आप में कंप्लीट है।

खुद को स्वीकार करना

आज की महिलाओं ने खुद को स्वीकार करना शुरू कर दिया है। उन्होंने अपने आप में कमियां निकालना छोड़ दिया और खुद की अच्छाई को जानना शुरू किया। आज की महिलाएं खुद को एक्सप्लोर कर रही हैं। वो समाज के बने हुए अनरियलिस्टिक ब्यूटी स्टैंडर्ड से खुद को कंपेयर नहीं करती बल्कि अपनी यूनिक पहचान को स्वीकार करती हैं। किसी के बीच में कोई तुलना नहीं हो सकती। हम सब अपने तरीके से सुंदर हैं और हमें अपनी बॉडी को वैसे स्वीकार करना चाहिए जैसे हम हैं। दूसरों के मुताबिक खुद को बदलना सबसे बड़ी गलती है।

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सोशल मीडिया आवाज बुलंद करने का जरिया

आज की महिलाओं ने सोशल मीडिया पर आवाज बुलंद कर रही हैं। आज की महिला का सबसे बड़ा हथियार सोशल मीडिया है। अगर कोई महिला वर्किंग भी नहीं है तब भी वो सोशल मीडिया पर अपनी माइंडसेट को शेयर करती है। इससे वो सशक्त हो रही है। इसके साथ ही बहुत सारे ऐसे प्लेटफार्म हैं जो सोशल मीडिया पर महिलाओं को लेकर बात करते हैं। 

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