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Domestic Violence and Abuse: कितना काफी है?

डोमेस्टिक वायलेंस या घरेलू हिंसा किसी भी रिलेशनशिप में इंसल्टिंग बेहेवियर जिसमें एक पार्टनर दूसरे पार्टनर पर पावर और कंट्रोल बनाने की कोशिश करता है। हमारे देश में ज़्यादातर महिलाएं इसका शिकार होती हैं।

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Mandie Panesar
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How Much Is Enough? (Image Credit: Pinterest)

How Much Is Enough? : डोमेस्टिक वायलेंस या घरेलू हिंसा किसी भी रिलेशनशिप में इंसल्टिंग बेहेवियर जिसमें एक पार्टनर दूसरे पार्टनर पर पावर और कंट्रोल बनाने की कोशिश करता है। हमारे देश में ज़्यादातर महिलाएं इसका शिकार होती हैं। 

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Domestic Violence and Abuse: कितना काफी है?

एक औरत के शादी को लेकर हज़ारों सपने होते हैं लेकिन शादी के बाद उसे कैसा ससुराल मिलेगा इस चीज़ का पता शादी के बाद ही लगता है। कुछ ससुराल वाले आज भी औरत को अपनी प्रॉपर्टी की नज़र से देखते हैं जिस कारण वे उसे अपने हिसाब से कंट्रोल और चलाने की कोशिश करते हैं। अगर कोई औरत इस चीज़ का विरोध करती है तो उसे पति द्वारा प्रताड़ित किया जाता है। अगर औरत के साथ ज़्यादा मारपीट हो तभी उसे समाज की हमदर्दी मिलती है। अगर पति एक आध थप्पड़ मार दे तो उसे 'इतना तो चलता है' बोल कर इग्नोर करने के लिए बोला जाता है। 

आज भी यह सवाल उठता है कि आखिर कितना वायलेंस या मारपीट काफी होती है एक औरत के लिए, जिससे लोगों को लगे कि यह गलत हो रहा है और यह नहीं चलेगा। मार पीट के इलावा भी कई तरह का एब्यूज होता है औरतों के साथ जिसके बारे में हम बात करेंगे। 

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1. फिजिकल वायलेंस

अगर पत्नी ने सामने से किसी चीज़ का विरोध किया है तो पति उसे थप्पड़ मार सकता है - यह हमारे समाज की सोच है। फिजिकल एब्यूज में थप्पड़ से लेकर धक्का मारना तक शामिल है। कई बार तो पत्नी को बेरहमी से भी पीटा जाता है जिसमें उसे हॉस्पिटल में इलाज के लिए लेकर जाने तक की नौबत भी आ सकती है। 

2. सेक्सुअल एब्यूज

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सेक्शुअल एब्यूज में पति पत्नी के कंसेंट के बगैर फिजिकल रिलेशन बनाता है जिसे आसान शब्दों में बलात्कार या रेप भी कहा जा सकता है। अगर औरत का फिजिकल रिलेशन बनाने में कंसेंट या मर्ज़ी न हो और ज़बरदस्ती उसके साथ सेक्स किया जाये तो वो बलात्कार होता है लेकिन हमारे समाज में कुछ लोग सोचते हैं कि यह तो पति-पत्नी कि बात है और पत्नी का फ़र्ज़ है पति को खुश करना। इसके अलावा, पति कई बार अपने किसी स्ट्रेंज किंक को पूरा करने के लिए अपनी पत्नी से कुछ ऐसे काम भी करवाते हैं जिन्हें करने में पत्नी बिलकुल भी कम्फ़र्टेबल फील नहीं करती। 

3. इकनोमिक एब्यूज 

इकनोमिक एब्यूज में पति या ससुराल वाले औरत के घर खर्च को भी कंट्रोल करने की कोशिश करते हैं और उसकी पर्सनल नीड्स को तो कंसिडर ही नहीं किया जाता। अगर कुछ पैसे उसे दिए भी जाएँ तो उससे एक-एक पैसे का हिसाब माँगा जाता है। अगर वह खुद कमाना चाहे तो उसे यह सुना दिया जाता है कि अगर पति इतना कमाता है तो तुम्हें क्या ज़रूरत है काम करने की।

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4. साइकोलॉजिकल एब्यूज 

इमोशनल या साइकोलॉजिकल एब्यूज में औरत की हर बात को अनसुना करने से लेकर उसकी फीलिंग्स को नेग्लेक्ट करने तक शामिल है। पत्नी को डरा कर रखना, उसे किसी से बात न करने देना या फिर अपनी बात को ही हमेशा ऊपर रखना इमोशनल एब्यूज का हिस्सा है। इसमें पत्नी को साइकोलॉजिकली कंट्रोल किया जाता है ताकि वह पति और ससुराल वालों का कहना ही माने। 

एब्यूज चाहे कोई भी हो, सवाल तो एक ही है - कितना काफी है? अगर पति पत्नी पर हाथ उठाता है या फिर उसे मेंटली कंट्रोल करने की कोशिश करता है तो 'शादी में कितना तो चलता है'? यह सब चीज़ें लीगली हमारे समाज को बांध कर नहीं रखतीं बल्कि हमारे समाज के कुछ लोगों की सोच ने इसे बांधा हुआ है। औरत को घर बचाने का वास्ता देकर कई बार लड़की के पारिवारिक लोग ही ऐसी बातें लड़की से कह देते हैं। लेकिन यह सवाल हर औरत को ऐसा बोलने वाले लोगों से पूछना होगा कि क्या हद है मारपीट या हिंसा की किसी भी रिश्ते में।

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