How To Cope Up With Negative Thoughts If You Feel Like Life Is Ending: कभी अगर लगे कि ज़िन्दगी खत्म हो गई है अब जीने का कोई भी मकसद नहीं बचा तो निराश मत होना क्योंकि ज़िन्दगी तो चलने का नाम है हर रात के बाद जैसे दिन आता है वैसे ही हर निराशा के बाद आशा की रोशनी जरूर दिखाई देती है हमें बस अपना कर्म करते रहना है ताकि हमें जीवन में वह आशा मिल सके जिसके खातिर हम अपना जीवन पूरी तरह से जिए हमेशा याद रखिएगा की जहां आपको लगता है कि आपकी किसी को कि ज़रूरत नहीं वही ऐसे भी कई लोग हैं जिन्हें आप ही की तरह किसी का साथ चाहिए ऐसे में आप उनकी आवाज बने और उन्हें हौसला दे खुद को संभालकरI
निराशावादी ख्यालों का सामना कैसे करे?
1. किसी करीबी इंसान से वार्तालाप करे
कभी- कबार किसी अपने से बात करने पर भी मन का बोझ हल्का हो जाता हैI यदि आपको ऐसा लगे कि बस आप और सहन नहीं कर पा रहे है तो तुरंत अपने माता-पिता या भाई-बहन या फिर करीबी दोस्त से बात करेI लेकिन अगर वह रास्ता भी काम ना करे तो अपने शिक्षक से अपनी परेशानी आवश्य बाटे और उनकी राय लेI साथ में आपके किसी ख्याल रखने वाले या फिर शुभचिंतक के होने से अकेलापन दूर हो जाता है और नेगेटिव चिंताएं नहीं आतीI
2. जर्नल में अपनी बातें लिखे
यदि आपके ज़ेहन में सहस्त्र बातें दौड़ रही हो या फिर आप दिन भर सोचते ही रहते है तो उन ख्यालों को अपनी डायरी में उतारेI अपना एक पर्सनल जर्नल बनाए और दिन के अंत में अपनी बातें उसे जर्नल में नोट डाउन करेI आपके दिन भर की बातों को दोहराने से आपको एक स्पष्ट दृष्टिकोण प्राप्त होता हैI जिसके आधार पर आपको अपने भविष्य के निर्णय लेने में मदद मिलेगीI
3. सिनेमा या फिर सीरीज़ देखे
कई बार हम वास्तविक चीजों से उतना जुड़ नहीं पाते जितना कि किसी वास्तविक दुनिया की बातों से जुड़ जाते हैI फिल्में एक उत्तम साधन है न केवल हमारा मन बहलाने के लिए बल्कि किसी छोटी सी विषय के माध्यम से भी बहुत बड़ी बात सीखने के लिएI यदि आप जीवन से निराश है तो उन फिल्मों या फिर सीरीज़ को देखे जो फिर से आपके मन में उम्मीद जगाए और आपको प्रोत्साहित करेI
4. व्यायाम का सहारा ले
योग और व्यायाम से न केवल शरीर की बल्कि मन की भी कसरत होती है और लगातार अच्छे से व्यायाम करने के बाद उस थकान का मजा कुछ और ही हैI तब आपको अपने अंदर एक अलग तरह की ही ऊर्जा महसूस होगी जो आपको दोबारा मेहनत करने की प्रेरणा देगीI इसलिए व्यायाम या फिर को-करिकुलर एक्टिविटीज द्वारा अपने मन को ऑक्यूपाइड रखेI
5. मानसिक चिकित्सक से परामर्श करे
सबसे महत्वपूर्ण बात है कि जैसे आपके शरीर को ठीक करने के लिए डॉक्टर होते है वैसे आपके मन को ठीक करने के लिए भी डॉक्टर होते हैI यदि इन सब के बावजूद भी आपको ठीक ना लगे और फिर मन निराशावादी ख्यालों से चक्र रहे तो यह संकेत है आप जल्द से जल्द किसी साइकैटरिस्ट या फिर काउंसलर का परामर्श लेI ताकि वह आपको सही मार्ग दिखा सके और आपकी मन की हालत को और भी बेहतर बना सकेI