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पैरेंट्स को अपनी बातें कैसे समझाएं?

अक्सर देखा जाता है कि बच्चों और माता-पिता के बीच संचार का अभाव होता है। इस कारण कई बार बच्चों की समस्याएं अनसुनी रह जाती हैं और गलतफहमियां उत्पन्न होती हैं।

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Srishti Jha
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Image Credit: Freepik

How to explain your views to parents? हमारे समाज में अक्सर देखा जाता है कि बच्चों और माता-पिता के बीच संचार का अभाव होता है। इस कारण कई बार बच्चों की समस्याएं अनसुनी रह जाती हैं और गलतफहमियां उत्पन्न होती हैं। लेकिन सही तरीके से अपनी बातें पैरेंट्स को समझाने से इस समस्या का समाधान हो सकता है। यहां कुछ महत्वपूर्ण टिप्स दिए जा रहे हैं, जिनसे आप अपने विचार और समस्याएं पैरेंट्स तक प्रभावी ढंग से पहुंचा सकते हैं।

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पैरेंट्स को अपनी बातें कैसे समझाएं?

1. सही समय और स्थान का चयन करें

पैरेंट्स के साथ संवाद के लिए सही समय और स्थान का चयन बहुत महत्वपूर्ण होता है। जब पैरेंट्स आरामदायक और फुर्सत में हों, तभी अपनी बात को उनके सामने रखें। इससे वे आपकी बातों को ध्यान से सुन पाएंगे और उनकी प्रतिक्रिया भी सकारात्मक हो सकती है। शोर-शराबे वाले स्थानों से बचें और ऐसी स्थिति में बात न करें जब वे तनाव में हों।

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 2. स्पष्ट और विनम्र भाषा का प्रयोग करें

अपनी बातें पैरेंट्स तक पहुंचाने के लिए स्पष्ट और विनम्र भाषा का उपयोग करें। बात को घुमा-फिरा कर कहने के बजाय सीधे और सटीक शब्दों का प्रयोग करें। अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए 'मैं' का प्रयोग करें, जैसे 'मुझे ऐसा लगता है...' या 'मैं इस बारे में चिंतित हूं...'। इससे पैरेंट्स को आपकी भावनाओं को समझने में आसानी होगी।

3. उनकी बातों को भी सुनें

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संवाद दोतरफा होता है, इसलिए पैरेंट्स की बातों को भी ध्यान से सुनें। उनके विचार और दृष्टिकोण को समझने की कोशिश करें। जब आप उनकी बातें ध्यान से सुनेंगे, तो वे भी आपकी बातें सुनने के लिए तैयार होंगे। इससे एक स्वस्थ संवाद स्थापित हो सकेगा और समस्याओं का समाधान मिल सकेगा।

4. तर्कसंगत रहें और उदाहरण दें

जब आप अपनी बातों को पैरेंट्स के सामने रखें, तो तर्कसंगत रहें और वास्तविक उदाहरण दें। इससे वे आपकी बातों को आसानी से समझ पाएंगे। यदि आप किसी समस्या के बारे में बात कर रहे हैं, तो उसके संभावित समाधान भी सुझाएं। उदाहरण के रूप में, यदि आप किसी विशेष पाठ्यक्रम में प्रवेश लेना चाहते हैं, तो उसके लाभों और भविष्य के अवसरों के बारे में विस्तार से बताएं।

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5. धैर्य और संयम बनाए रखें

धैर्य और संयम बनाए रखना बहुत जरूरी है। हो सकता है कि पैरेंट्स तुरंत आपकी बातों को न समझें या असहमति व्यक्त करें। ऐसे में गुस्सा न करें और शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बातें रखें। धैर्यपूर्वक समझाने से ही समस्याओं का समाधान संभव है। साथ ही, यदि पैरेंट्स को समय चाहिए, तो उन्हें वह समय दें ताकि वे आपकी बातों पर सोच-विचार कर सकें।

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