How Toxic Positivity Impacts Motherhood? भारतीय समाज में मां बनना बहुत कठिन है क्योंकि आपके ऊपर बहुत सारी सामाजिक अपेक्षाएं होती हैं। हमेशा ही आपसे पर्फेक्ट बनने को कहा जाता है। यह समझा जाता है कि आप सब कुछ छोड़कर अपना सारा समय बच्चों को ही दें। ऐसे में बहुत सारी महिलाएं बर्नआउट भी हो जाती है और उन्हें खुद के लिए समय नहीं मिलता। उनकी पर्सनल लाइफ पूरी तरह खत्म हो जाती है। उनकी आइडेंटिटी सिर्फ एक मां के तौर पर ही रह जाती है जो कि बिल्कुल भी नहीं है। चलिए जानते हैं कि टॉक्सिक पॉजिटिविटी का मदर्स के ऊपर क्या प्रभाव पड़ता है-
टॉक्सिक पॉजिटिविटी कैसे मदरहुड जर्नी को प्रभावित करती है?
मां बनना किसी भी औरत के लिए आसान नहीं होता है लेकिन यह समय तब और भी कठिन बन जाता है जब टॉक्सिक पॉजिटिविटी आपकी जिंदगी का हिस्सा बन जाती है। एक मां के तौर पर जब आपको यह बोला जाता है कि यह एक ऐसा समय है जिसमें से सभी गुजरते हैं और आपके साथ कुछ नया नहीं हो रहा है तो वो आपके इस यूनिक अनुभव को बिल्कुल ही रद्द कर देते हैं। इससे आप अपनी जर्नी को इंजॉय नहीं कर पाते हैं बल्कि आप चाहते हैं कि कैसे आपका यह समय जल्दी गुजर जाए। आप उस समय को इंजॉय ही नहीं कर पाते हैं।
अपनी भावनाओं से भागना
टॉक्सिक पॉजिटिविटी के कारण आपकी सभी फीलिंग्स को वैलिडेट नहीं माना जाता है। ऐसा समझा जाता है कि आपको हमेशा ही खुश रहना चाहिए। यह आपकी जिंदगी का एक पार्ट है और इससे हर महिला को गुजरना ही पड़ता है। इसके कारण आप अपनी भावनाओं को दबाते चले जाते हैं और हमेशा ही खुश रहने की कोशिश करते हैं। आपको लगता है कि अगर आप मां बन गई है तो अब आपको सिर्फ बच्चों के ऊपर ही ध्यान देना है। इसलिए आपकी अपनी कोई फिलिंग्स मैटर नहीं करती है।
सिर्फ बच्चा आपकी प्राथमिकता
टॉक्सिक पॉजिटिविटी के कारण बच्चा ही आपकी प्राथमिकता बन जाता है और आप अपनी वेल्बीइंग के ऊपर ध्यान ही नहीं देते हैं। आपको लगता है कि अगर आप अपनी सेहत का ध्यान रखेंगे तो सेल्फिश बन जाएंगे और न ही आपको स्वीकार नहीं किया जाएगा। एक मां बनने के बाद हमेशा ही औरत को ऐसा लगता है कि अब उसकी जिम्मेदारी सिर्फ बच्चा ही है और उसकी जिंदगी सिर्फ उसके आसपास ही घूमती है। इस कारण बहुत सारी महिलाएं अपने करियर को भी दांव पर लगा देती है जो कि गलत है।