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Desi Mom Struggles
हमारे समाज में घर में रह कर बच्चों की देखभाल करने वाली महिला को 'देसी मॉम' कहा जाता है। जो महिला अपना करियर छोड़ कर सिर्फ घर के काम-काज की तरफ ध्यान दे उसका मान सम्मान हमारे आज के समाज बहुत ही कम हो गया है। घर के बच्चे, मर्द और बूढ़े तक उसको घर के फैसले करने में असमर्थ समझते हैं, यहाँ तक कि बेवकूफ और नादान समझते हैं। उन्हें लगता है कि इसे क्या कुछ समझ में आता हैं। इसका काम तो सिर्फ घर में रहना है। इसके साथ यह भी समझा जाता है कि इन औरतों को सिर्फ बच्चे पलने है और पति को संभालना है। इनकी कोई चॉइस नहीं होती और ना ही कोई ख्वाहिश होती है। यह समझ लिया जाता हैं जिस चीज़ में बच्चों और पति की ख़ुशी होती उसमे ही इनकी ख़ुशी होती हैं। जरूरी नहीं हर औरत अपनी मर्ज़ी से घर पे हो बहुत सी औरतो की ये मज़बूरी होती है।
Desi Mom Struggles/जाने क्या हैं देसी मॉम के स्ट्रगल्स
खाना बनाना लेकिन खाना सब के बाद
जितनी भी भारतीय घरों में भी देसी माए हैं वे खाना सबके लिए बनाती है लेकिन खाती सब के बाद है कोई घर में उन्हें नहीं कहेगा कि आप भी हमारे साथ बैठ कर खा लीजिए। आपने खाना बनाया है हम खाने को सर्व कर देते हैं। नहीं अगर खाना
मां ने बनाया है तो सर्व भी वहीं ही करेगी।
घर के काम करना
घर के जितने भी काम है कपड़े धोना आयरन करना झाड़ू लगाना, साफ सफाई करना, खाना बनाना सभी काम जो भी एक घर में होते हैं वह सबकी जिम्मेदारी मां के ही ऊपर होती है। उसे ही घर के सब काम करने हैं क्योंकि उसकी ही जिम्मेदारी है घर में बाकी जितने भी मेंबर है उनमें से किसी की नहीं है।

अपने दोस्त नहीं होते
बहुत स औरतें हैं जब उनकी शादी हो जाती है या तो उनकी पतियों की पत्नियां दोस्त होती हैं या फिर बच्चों की जो मम्मियां वही उनकी दोस्त होती है। यह बहुत से भारतीय घरों की कहानी है शादी के बाद या बच्चों के बाद औरतों के अपने दोस्तों के ग्रुप होते हैं वह छूट जाते हैं। उन्हें उनसे मिलने का समय नहीं मिलता या उन्हें इज्जात नहीं होती।
अकेले नहीं घूम सकती
समाज का यह मानना है अगर औरत की शादी हो जाए या फिर उसके बच्चों को जाए उसे उनको उनके साथ ही घूमना चाहिए क्योंकि शादी के बाद वे अकेले कई घूमने नहीं जा सकती या फिर अपने दोस्तों के साथ उसे घूमने की इजाजत नहीं होती।
ऐसी और भी बहुत सारी चीजें हैं जो एक औरत से एक्सपेक्ट की जाती है कि वह ही उन्हें पूरा करें क्योंकि वे एक औरत है इसलिए उसकी ही जिम्मेदारी बनती है। हमारे समाज में ऐसे और भी बहुत सारे जेंडर रोल हुए हैं जो सदियों से चलते आ रहे हैं। जिसके कारण औरतों को बहुत ज्यादा सहना पड़ता है लेकिन औरतों को चाहिए अपनी अलग पहचान बनाए समाज में जितने भी नियम बने हैं उन्हें तोड़कर बहुत आगे निकल जाए।