मेकअप एक कला है जो किसी को भी पसंद हो सकता है। इसमें कोई जेंडर रोल नहीं हैं कि सिर्फ औरतों को मेकअप करती हैं या फिर उसे ही करना पसंद है। यह किसी पर्सनल पसंद है उसे मेकअप करना है या नहीं । इस पर किसी को जज नहीं करना चाहिए। अक्सर यह भी कह दिया कि औरते मेकअप मर्दों को दिखने के लिए करती है। ये सिर्फ एक धारणा जो लोगों के द्वारा बनाई गई है। इसमें कोई सचाई नहीं है। कोई भी औरत जब मेकअप करती है वे अपने आप को अच्छे महसूस करने के लिए या अपने आप को ग्रूम करने लिए करती है। समाज कि ये आदत हो गई है औरत कि हर बात को मर्द के साथ से जोड़ना है।
Makeup: क्या औरतें मर्दों को दिखाने के लिए मेकअप करती है?
जब भी औरत मेकअप करती है उसके घर से ये चीज़ शुरू हो जाती है किसके लिए इतना मेकअप किया है? तुम्हारी तो अभी शादी भी नहीं हुई अभी से इतना मेकअप? इतना लगाने की क्या जरूरत है? तुम्हारा पति नहीं कुछ कहता इतना मेकअप करती हो ? और भी ऐसी हजारो बातें जो औरतों सिर्फ एक मेकअप के लिए ही औरतों सुननी पड़ती हैं। हमारे समाज में औरतो को किसी भी चीज़ के लिए आजादी नहीं है चाहे वह मेकअप ही हो। हर बात पे औरत को जज किया उससे पुछा जाता है कि तुम ये क्यों कर रही हो। हर चीज़ के लिए उसे पहले कभी परिवार, पति और समाज कि आज्ञा लेनी पड़ती है।
तुम्हे इतना टाइम मिल जाता है मेकअप के लिए?
हर औरत को यह बात कभी न कभी सुनने को मिली होगी कि तुम्हे इतना टाइम मिल जाता है मेकअप के लिए। इतना तैयार होकर क्या करती हो। तुम रोज़ इतना मेकअप करती हो। लड़किया तो आधा पैसा मेकअप पर ही उडा देती हैं। ड़की अगर मेकअप कर रही इसमें समाज को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। यह उसकी पर्सनल चॉइस हैं। अगर औरत मेकअप कर रही इसमें समाज को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। यह उसकी पर्सनल चॉइस हैं।
लड़कियों के लिए मेकअप ज़रूरी नहीं है
समाज के हमेशा दोहरा मापदंड रहा हैं अगर लड़की मेकअप करें तब भी समाज को समस्या रहती हैं अगर न करें तब भी। समाज में यह धारणा है कि लड़कियों तो मेकअप करने वाली होती है। सिर्फ यहीं मेकअप कर सकती हैं लड़के नहीं। जबकि ऐसा कुछ नहीं होता ये हर किसी की अपनी पर्सनल चॉइस हैं। ज़रूरी नहीं हर लड़की मेकअप करती हो। बहुत सी लड़कियाँ होती है जिन्हें मेकअप पसंद नहीं है। उन लड़कियों के बारे में समाज को कोई राय बनाने का हक़ नहीं है।