Postpartum Myths: शिशु को जन्म देने के बाद मां को बेहतर देखभाल की जरूरत होती है। उन्हें अपने खान-पान और सेहत का खास ध्यान रखना होता है ताकि शरीर रिकवर जल्दी हो सके और मां के साथ-साथ शिशु की हेल्थ ही अच्छी रहे। लेकिन ऐसे बहुत से मिथ्स हैं जिन पर अक्सर महिलाएं खासकर नई मां विश्वास कर लेते हैं। आइए जानते हैं ऐसे मिथ्स के बारे में
1. मां जितना अधिक दूध पिए उतना अधिक स्तनपान करा सकेगी
नई माताओं को अक्सर ज्यादा दूध पीने की सलाह दी जाती है दूध पीना बेहतर है इससे शरीर को प्रोटीन की मात्रा होती है और शरीर रिकवर होने में दिक्कत होती है लेकिन ऐसा सोचना किस से दूध पीने से स्तनपान बेहतर होगा यह बिल्कुल गलत है। नई माताओं को दूध के साथ साथ अपने अन्य आहार पर भी उतना ही ध्यान देने की आवश्यकता है।
2. बीमार मां नहीं करवा सकती शिशु को स्तनपान
नई माताओं के लिए यह एक बहुत ही कॉमन मिथ है। अक्षर नेम आता है जब बीमार पड़ती है तो उन्हें सलाह दी जाती है कि वह शिशु को स्तनपान ना कराएं क्योंकि उनके द्वारा संक्रमण शिशु में भी फैल सकता है और शिशु के बीमार होने का खतरा होता है। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है बीमार होने की अवस्था में भी अधिकतर समय शिशु को स्तनपान कराना ठीक रहता है क्योंकि स्तनपान के जरिए शिशु में संक्रमण होने की कोई संभावना नहीं होती है।
3. नई माताओं को ज्यादा पानी नहीं पीना चाहिए
यह माना जाता है कि नई माताओं को डिलीवरी के बाद ज्यादा पानी नहीं पीना चाहिए क्योंकि इस कारण उनका पेट फूलने की संभावना होती है। यह बिल्कुल गलत है। नई माताओं को डिलीवरी के बाद पानी की काफी आवश्यकता होती है। उन्हें दिन में 3 से 4 लीटर पानी अवश्य पीना चाहिए। अगर नई माताएं कम पानी पीती है तो उनके शरीर में खून के थक्के बनने की संभावना होती है।
4. नई माताओं को डिलीवरी के बाद डिप्रेशन होता है
यह बात सच है कि शिशु को जन्म देने के बाद अधिकतर महिलाओं में डिप्रेशन की शिकायत को देखा जाता है। लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि शिशु को जन्म देने के बाद प्रत्येक महिला को डिप्रेशन का सामना करना पड़ता हो। कई महिलाओं में डिप्रेशन की शिकायत डिलीवरी के बाद नहीं देखी जाती। डिलीवरी के बाद डिप्रेशन होना और ना होना दोनों सामान्य है।