Reproductive & sexual rights: महिला के अधिकार की बात करें तो आज भी कई वर्ग है जो इन मामलों में अभी पिछड़ा हैं। वहीं अगर हम एक महिला की सेक्सुअल राइट्स की बारे में बात करें तो अब तक समाज में इसपर ज्यादा रोशनी नहीं डाली गई हैं। अगर महिलाओं के विषय पर बात भी होती है तो गर्भ में बेटी को मारना, मासिक धर्म, चाइल्ड मैरेज जैसे विषयो पर ही मामला निपट जाता है और उनके सेक्शुअल राइट्स तक बात पहुंचती ही नहीं।
एक महिला को पूरा अधिकार है कि वो अपने सेक्सुअल और प्रजनन यानी रिप्रोडक्टिव राइट्स जाने और उसे अपनाएं। जो महिला पढ़ी- लिखी है और उसे अपने अधिकार के बारे में ज्ञान है वो खुद के लिए इन मामलों में खड़ी होती है पर जो महिलाएं गाव, देहात से या अंडर डेवलप्ड देश से है या डेवलपिंग देश है वो महिला अपने सेक्सुअल राइट्स को ना जानती है और पितृसत्तात्मक सोसायटी के दबाव में आकर उसके पिछड़े सोच का शिकार हो जाती है। ऐसे पिछड़े वर्ग की महिलाएं अक्सर अनचाही प्रेगनेंसी, अन प्रोटेक्टेड सेक्स द्वारा हुई बीमारियां जैसे एचआईवी आदि से ग्रसित हो जाती है।
जानिए महिलाओं के कुछ अधिकारों के बारे में
- एक महिला को पूरा अधिकार है कि, उसके शारीरिक प्राइवेसी की गोपनीयता बनाए रखी जाए। एक महिला का कोई भी न्यूड तस्वीरें लीक करना या उससे ब्लैकमेल करना अपराध है।
- एक महिला को पूरा अधिकार है कि वो तय कर सके कि उसे सेक्सुअली एक्टिव होना है ना नहीं महिला के मना करने पर या उसके साथ जबरजस्ती करने पर किसी पर रेप के चार्जेज लग सकते हैं।
- एक महिला को पूरा अधिकार है कि वो सेफ सेक्स एक्सपीरिएंस करे अपना पार्टनर खुद चुने जिसके साथ उसे अपना जीवन यापन करना है।
- एक महिला को पूरा अधिकार है कि वो अपने मर्जी अनुसार शादी करने करे तथा अपने मन अनुसार बच्चे करे। एक महिला को बच्चे चाहिए भी या नहीं वो भी पूरे तरीके से उसपर निर्भर है। उसपर मां बनने के लिए जोर डालना भी अपराध है।
- जीवन भर एक महिला को अधिकार है कि वो अपने प्रति हो रहे किसी भी हैरासमेंट के खिलाफ खड़ी हो सकती है चाहें वो घर से हो, घर के बाहर हो या फिर वर्क प्लेस पर हो।