Women & Career: पहले के समय में देखें तो करियर शब्द सिर्फ पुरुषों के लिए इस्तेमाल होता था। महिलाओं को पढ़ाई लिखाई जरूर करवाई जाती थी लेकिन उनका करियर बनना इतना महत्वपूर्ण नहीं होता था। पुरुषों के करियर को ज्यादा अहमियत दी जाती थी। अब यह सिनेरियो चेंज हो रहा है लेकिन फिर भी महिलाओं को पुरुषों के जैसा सपोर्ट नहीं मिलता है। इस कारण वे वर्क और पर्सनल लाइफ को मैनेज करते ही बर्नआउट महसूस करने लग जाती हैं जिसके कारण उन्हें डिप्रेशन,स्ट्रेस, एंजायटी, ईटिंग डिसऑर्डर, मूड स्विंग्स और हार्मोनल चेंजेज जैसी समस्याओं से गुजरना पड़ता है। इन शारीरिक और भावनात्मक समस्याओं के चलते उन्हें करियर में बहुत सारे स्ट्रगल भी करने पड़ते हैं। आईए जानते हैं कि अगर परिवार महिलाओं के करियर में साथ देने लग जाए तो उनकी कितनी मुश्किलें कम हो सकती है।
महिला के करियर में परिवार का रोल क्या है?
महिला के करियर में परिवार का रोल बहुत ज्यादा है। अगर वो उसका साथ दें तो उसे प्रोब्लेम्स कम आएंगी। उनका साथ ही उसके लिए हिम्मत बनेगा लेकिन यह होता नहीं है। इसमें समाज का हाथ होता है क्योंकि लोग ऐसे परिवार के बारे में गलत बाते बनाते हैं। उन्हें अच्छा नहीं लगता कि किसी की बहु और बेटी बाहर जाकर काम करें। यह सोच बदलनी चाहिए।
पुरुषों के मुकाबले ज्यादा चैलेंज
जब बात करियर की आती है महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले ज्यादा चैलेंज फेस करने पड़ते हैं। इसलिए उन्हें परिवार के सपोर्ट की ज्यादा जरूरत महसूस होती है लेकिन होता उल्टा है। महिलाओं के बजाय पुरषों को ज्यादा सपोर्ट मिलता है। ऐसे में महिलाएं बहुत बार करियर का त्याग कर देती हैं।कई बार अगर करियर खत्म नहीं करती लेकिन उनकी ग्रोथ रुक जाती है। ऐसे में परिवार को चाहिए कि अगर महिला करियर करना चाहती है तो हम उनका सपोर्ट करें। उन्हें जिस भी तरीके से उनके साथ चाहिए वो वैसे ही देने के लिए तैयार हो जाएं। महिलाओं को ज्यादा समस्या तब आती है जब उनकी शादी हो जाती है। सास-ससुर और पति की तरफ से इतना सपोर्ट नहीं मिलता है। वे सब चाहते हैं कि महिला बाहर जाकर काम करें लेकिन इसके बदले में उसका सपोर्ट नहीं करते हैं।
शारीरिक और मानसिक समस्याएं
वह महिला को सुबह घर का काम करने के लिए कहते हैं और शाम को घर आने पर भी काम करना पड़ता है। पहले से ही महिला जॉब से थकी हुई हुई होती है। जब घर आकर भी उसे काम करना पड़ता है तन उसे शारीरिक और मानसिक समस्याएं झेलनी पड़ती हैं। अगर महिला एक मां भी है तब समस्या और भी बढ़ जाती है क्योंकि सास-ससुर की तरफ से बच्चे को संभालने के लिए मना कर दिया जाता है या फिर अगर महिला न्यूक्लियर फैमिली में रह रही है तब उसे ही बच्चे को संभालना पड़ता है क्योंकि बच्चा संभालना तो सिर्फ औरतों की जिम्मेदारी है। ऐसा समाज का सोचना है। इस सोच के कारण महिला या तो जॉब छोड़ देती है या फिर अपने करियर में गैप ले लेती है जिसका नुकसान उन्हें ही बाद में होता है।
परिवार और पति का साथ
ऐसे में परिवार और पति दोनों को चाहिए कि अगर कोई महिला मन से अपने करियर में आगे ग्रोथ करना चाहती है, उन्हें उसका साथ देना चाहिए। घर का काम और बच्चों को संभालना सिर्फ औरतों की जिम्मेदारी नहीं है। मर्द और पुरुष दोनों काम कर सकते हैं। अगर किसी दिन महिला थकान महसूस कर रही है या उसका काम करने का मन नहीं है तो आप भी उनकी जगह वह काम कर सकते हैं। अगर दोनों हसबेंड वाइफ काम को मैनेज करके चलेंगे और एक के ऊपर काम का ज्यादा बोझ नहीं आएगा तो महिलाएं भी करियर में आगे बढ़ सकती हैं।