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Photograph: (Freepik)
आज की तेज़-रफ़्तार ज़िंदगी में महिलाएँ अक्सर घर, परिवार और काम के बीच अपनी पहचान और ज़रूरतों को भूल जाती हैं। कई घरों में ये देखा गया है कि वे सबका ख़्याल रखती हैं लेकिन खुद को नज़रअंदाज़ कर देती हैं। यहां तक कि वो ये भी भूल जाती है कि उनकी अपनी भी एक ज़िन्दगी है। वो भी सभी की तरह एक नॉर्मल इन्सान है और उन्हें भी प्यार की ज़रुरत है। सच तो यह है कि खुद से प्यार करना ही आत्म-सम्मान की पहली सीढ़ी है।
Self Love: महिलाओं के आत्म-सम्मान की पहली सीढ़ी
कई महिलाओ को तो इस बात का एहसास तक नहीं होता कि सेल्फ लव उनके लिये कितना ज़रूरी है। मगर इसे एक दिन में नहीं सीखा जा सकता है। सेल्फ लव एक लम्बी जर्नी है। इसे समझने के लिए सबसे पहले ये जानना होगा कि वास्तव में सेल्फ लव है क्या? आइए जानते है
सेल्फ लव क्या है?
महिलाएं अक्सर सेल्फ लव को selfish होना समझ लेती है लेकिन ये सच नहीं है। खुद से प्यार करने का मतलब है अपनी अच्छाइयों को जानना, उन्हें सराहना और कमज़ोरियों को भी अपनाना। हर तरह से खुद को स्वीकारना ही सेल्फ लव कहलाता है। और यही आगे चलकर आत्मविश्वास और आत्मसम्मान को जन्म देता है।
महिलाओं के लिए सेल्फ लव क्यों है ज़रुरी?
जब एक महिला खुद से प्यार करती है तो वो अपनी मानसिक और भावनात्मक सेहत पर ध्यान देती है। इससे उसके तनाव और दबाव को संभालने की क्षमता भी बढ़ती है। ये उनके सकारात्मक सोच और संतुलित जीवन की दिशा में पहला कदम साबित होता है।
कैसे मदद करता है सेल्फ लव?
1. सीमाएँ तय करना
सेल्फ लव के लिए सबसे ज़रुरी है हर रिश्ते में अपनी कुछ सीमाएं तय करना। जो महिलाएं खुद से प्यार करना जानती है वो अपनी और अपने वक़्त कि अहमियत भी बखूबी समझती है। वो ‘ना’ कहना भी जानती है। इस तरह सीमाएँ तय करके वो दूसरों को अपने आत्म-सम्मान और आत्म-सुरक्षा का संकेत देती है।
2. आत्मनिर्भरता की नींव
सेल्फ लव का महत्व जानने वाली महिलाएं आत्मनिर्भर होती है। वह अपनी ज़िन्दगी के फ़ैसलों की बागडोर भी हमेशा अपने हाथ में ही रखती है। वो खुद को और अपनी प्रज़ेन्स का मूल्य भी जानती है।
3. रिश्तों में बेलेंस बनाए रखना
जब महिला खुद से प्यार करती है तो वो अपने परिवार के सदस्यों को भी प्यार और सम्मान देना जानती है। इसीलिए खुद को महत्व देने वाली महिलाए, रिश्तों में भी स्वस्थ संतुलन बनाए रखती है।
4. नए समाज की ओर कदम
सेल्फ लव, महिलाओ को केवल पर्सनल लेवल पर ही नहीं बल्कि सामाजिक बदलाव के लिए भी बढ़ावा देता है। आत्मसम्मान से भरी महिलाएँ समाज में बराबरी की आवाज़ उठाती हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनती हैं।
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