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Karwa Chauth: आखिर क्यों करवा चौथ के दिन चाँद की पूजा की जाती है?

करवा चौथ के समय महिलाएँ अपने पति के लंबी उम्र और सफलता के लिए पूरे दिन बिना खाए पिए व्रत रखती है। रात के समय वह चाँद को देखने के बाद ही अपने व्रत को तोड़ती है।

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Pratibha Murmu
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Significance Of Worshipping Moon On The Day Of Karwa Chauth

Significance Of Worshipping Moon On The Day Of Karwa Chauth (Image Credit: Pinterest)

Karwa Chauth: करवा चौथ के समय महिलाएँ अपने पति के लंबी उम्र और सफलता के लिए पूरे दिन बिना खाए पिए व्रत रखती है। सुबह उठते ही वह सूरज के निकलने से पहले खाना खाती है जिसे सर्गी कहा जाता है और फिर वह दिन भर कुछ नहीं खाती है। रात के समय वह चाँद को देखने के बाद ही अपने व्रत को तोड़ती है। 

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What Is Karwa Chauth?

करवा का अर्थ है मटका और चौथ का मतलब है चौथा जिसका अर्थ है यह त्योहार अंधेरे फोर्टनाइट के चौथे दिन पड़ता है। संस्कृत स्क्रिपचर्स के अनुसार यह त्योहार को कराका चतुर्थी कहा जाता है जहाँ कराका का अर्थ है मिट्टी से बना मटकी और चतुर्थी यानि लुनार हिन्दू महीने का चौथा दिन। करवा चौथ का यह त्योहार ज्यादातर उतरी भारत और पश्चिम भारत मे मनाया जाता है जो हिन्दू लुनार महीने के ऑक्टोबर या नवंबर के समय मनाया जाता है। करवा चौथ के दिन शादीशुदा महिलाएँ अपने पति के लंबी उम्र और सफलता के लिए सुबह से शाम तक व्रत रखती है और रात मे चाँद की पूजा करने के बाद ही व्रत तोड़ती है। 

Significance Of Worshipping Moon 

करवा चौथ मे चाँद की पूजा करना महत्वपूर्ण होता है। बिना चाँद को देखे करवा चौथ पूरा किया नहीं माना जा सकता है। माईथोलोजी मे भगवान राम की एक कहानी का वर्णन किया गया है जो चंद्र पूजा के पीछे की कहानी को बताता है। कहानी की शुरुआत होती है जहाँ भगवान राम बहुत ध्यान से पूर्व की और चाँद को देख रहे थे। तभी आसपास के लोगों ने भगवान राम से उनके चाँद की तरफ देखने की वजह पूछी। तभी भगवान राम ने उन लोगों से प्रश्न किया की चाँद का कालापन किसका प्रतीक है।

जब कोई उत्तर ना दे सके तो भगवान राम ने उन्हे बताया की चाँद का कालापन जहर का प्रतीक है और चाँद इस जहर को पति पत्नी के बीच ले आता है। इसलिए पति पत्नी को चाँद की पूजा करने कहा जाता है और हमेशा साथ रहने के प्रथना की सलाह दी जाती है। और यही वजह है की करवा चौथ के समय चाँद की पूजा करना महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन महिलाएँ चाँद की पूजा करते हुए अपने पति से कभी दूर न होने की प्रथना करती है। यह माना जाता है की चाँद की पूजा करने से पति और पत्नी के दूर होने की संभावना खत्म हो जाती है और साथ ही दोनों के बीच की करवाहट भी खत्म हो जाती है और सिर्फ मिठास बना रहता है। 

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