Smita Kapoor Made Workplaces A Harassment Free Workzone: 2010 में भारत सरकार ने विशाखा गाइडलाइन के तहत सेक्सुअल हैरेसमेंट ऑफ़ वीमेन एट वर्कप्लेस एक्ट पास किया गया जहां पर यदि किसी भी कार्य क्षेत्र में किसी महिला के साथ दुर्व्यवहार करना गैर कानूनी कर दिया गयाI उस वक्त कई ऑर्गेनाइजेशन ने मिलकर स्मिता की इस विषय पर मदद मांगी क्योंकि आईसीसी इंटरनल कंप्लेंट्स कमिटी में काम कर चुकी स्मिता की इसे लेकर पहले से ही एक्सपर्टीज़ थीI लेकिन समस्या थी कि केवल गिनी चुनी कंपनियां ही इस मुद्दे पर काम कर रही थी और वह भी पूरी तरह से नहीं उसी वक्त स्मिता ने इस विषय को गंभीरता से जांचा और एक सेक्सुअल फ्री वर्क जॉन बनाने की पहल कीI इस सफर में उन्हें कई मुश्किलों एवं कई तरह के प्रश्नों का सामना करना पड़ा जैसे की बोर्ड मेंबर्स द्वारा यह कहना कि "यह एक सोशल वर्क जैसा है हम नहीं जानते कि हम यहां कैसे टिकेंगे?" लेकिन यदि इरादा पक्का हो तो बदलाव लाने में देर नहीं लगतीI
एक सुरक्षित कार्यस्थल की शुरुआत
इन 10 सालों में करीबन 800 से ज्यादा संस्थाओं के साथ जुड़ने के बाद, आज केल्प एचआर देश का एकमात्र ऐसा संगठन है जिसका नेतृत्व एक एचआर व्यक्ति करता हैI जो इस बात का ध्यान रखती है कि जिन कंपनियों के साथ यह काम करे वहां के किसी भी कर्मचारी को हरासमेंट का सामना न करना पड़ेI यह बात ज़रूर है कि किसी आम आदमी को पोश यानी प्रिवेंशन ऑफ़ सेक्सुअल हैरेसमेंट की आवश्यकता समझना मुश्किल है लेकिन स्मिता ने अपने संगठन द्वारा संस्थाओं एवं लोगों को इस विषय में जागरूक करने में सफल हुई हैI
सफर में चुनौतियों का सामना
किसी भी एंटरप्रेन्योरशिप के सफर में फंडिंग एक गंभीर समस्या होती है और स्मिता को भी इससे जूझना पड़ा तब उन्हें अपने पैसों से अपनी कंपनी को आगे लेकर जाना पड़ाI स्मिता का कहना है कि उस पोश के नियम के कारण कंपनियां इसे केवल 'टीक इन द बॉक्स' यानी सिर्फ नियम का पालन करने के लिए ही इस पर गौर फरमाते थे लेकिन कोई भी इस पर गंभीरता से विचार नहीं करता थाI यहां तक की बोर्ड मेंबर्स भी इसे केवल एक सोशल वर्क मानते थे और उन्हें शंका थी कि वह कितने दिन तक यहां टिकेंगेI एक और चुनौती थी उन्हें यह समझाना कि सेक्सुअल हैरेसमेंट का मतलब केवल रेप या मॉलेस्टेशन नहीं है और आज भी उनकी यह जंग जारी हैI
कार्य स्थल में बदलाव
सबसे बड़ा बदलाव जो स्मिता कार्य क्षेत्र में लाई वह हे हाइब्रिड मॉडल की शुरुआत करना, जिसके सहारे महिला कर्मचारी चाहे घर हो या ऑफिस अपने सुविधा अनुसार कहीं से भी काम कर सकती हैI सिर्फ यही नहीं जिन महिलाओं को लंबे ब्रेक या परिवार के लिए काम छोड़ने के कारण दोबारा काम नहीं मिल रहा था उन्होंने उनको अपने संस्था में मौका दियाI उनका कहना है कि "मेरा सबसे मजबूत सिद्धांत है आत्मनिर्भर होना, किसी पर भी निर्भर न रहनाI तो अगर मैं एक कार्य स्थल में एक अनुकूल और समावेशी वातावरण बनाने में इन संगठनों का समर्थन कर पाई और कम से कम 10000 महिला कर्मचारियों के जीवन में बदलाव ला पाई तो मैं सोचूंगी कि मैं अपना उद्देश्य हासिल कर लिया हैI"
उभरते एंटरप्रेन्योर्स को संदेश
स्मिता ने ने उभरते एंटरप्रेन्योर्स खासकर की महिलाओं को यह संदेश दिया कि:
"टेक चार्ज! आपको अपने करियर की जिम्मेदारी खुद लेनी होगी। आप इंतजार नहीं कर सकते कि अगर मैं काम करती रहूंगा तो मेरे साथ कुछ अच्छा होगा। आपको पहले से योजना बनानी चाहिए और उसके आधार पर अपने लिए रास्ता बनाना होगा। आपको अपने स्किलस को अपग्रेड करने से लेकर नेटवर्किंग और फंडिंग को हासिल करने की आवश्यकता हैI"