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Sports: ऐसी 5 चुनौतियां जो महिलाओ को खेल मैदान में मिलती हैं

खेल के क्षेत्र में, महिलाओं ने हर बाधाओं को तोड़ते हुए और सामाजिक नियमो को चुनौती देते हुए काफ़ी प्रगति की है। प्रगति के बावजूद भी  महिला खिलाड़ियों को असंख्य चुनौतियों और पुराणी सामाजिक सोच का सामना करना पड़ रहा है जो खेल उन्नति और मान्यता में बाँधा हैं।

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Hindi Team
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Sports (freepik)

(Image credit- Freepik)

Stereotypes Faced By Women In Sports: खेल के क्षेत्र में, महिलाओं ने हर बाधाओं को तोड़ते हुए और सामाजिक नियमो को चुनौती देते हुए काफ़ी प्रगति की है। प्रगति के बावजूद भी  महिला खिलाड़ियों को असंख्य चुनौतियों और पुराणी सामाजिक सोच का सामना करना पड़ रहा है जो खेल उन्नति और मान्यता में बाँधा हैं।

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ऐसी 5 चुनौतियां जो महिलाओ को खेल मैदान में मिलती हैं :

1) लिंग वेतन (सैलरी) अंतर

खेलों में महिलाओं के सामने आने वाली सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है लगातार लिंग वेतन अंतर। महिला एथलीटों को अक्सर  पुरुष खिलाड़ियों  की तुलना में काफ़ी कम वेतन मिलता है, यहां तक कि समान खेलों में भी। यह असमानता न केवल पुरानी और गलत सामाजिक सोच को दर्शाता है, बल्कि महिलाओं के लिए खेल का करियर बनाए रखना में भी चल्लेंजिंग बन जाता है, जिससे उनकी एथलेटिक गतिविधियों पर पूरी तरह ध्यान केंद्रित करने की पावर खतम होती रहती है।

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2) सीमित मीडिया कवरेज

पुरुष एथलीटों की तुलना में महिला एथलीटों को लगातार मीडिया कवरेज की कमी का अनुभव होता है। मुख्य खेल आयोजनों में पुरुषों की प्रतियोगिताओं को ज़्यादा मान दिया जाता  है, महिलाओं की प्रतियोगिताओं को नकार दिया जाता है। लिमिटेड प्रदर्शन के कारण महिला एथलीटों के लिए अपना व्यक्तिगत ब्रांड बनाना, स्पोंसर्स को आकर्षित करना और अपनी वह पहचान हासिल करना मुश्किल हो जाता है जिसकी वे हकदार हैं।

3) पुरानी सोच का सामना

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खेलों में महिलाओं से जुड़ी यह पुराणी और गलत सामाजिक सोच उनकी प्रगति में बाधा डालती आ रही है। यह प्रचलित धारणा कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में शारीरिक रूप से कमजोर या कम कॉम्पिटिटिव  हैं, इस पुराणी सोच को कायम रखने में योगदान करती हैं जिनका महिलाओं को खेल में सामना करना पड़ता है। ये बाधाएँ न केवल महिला एथलीटों के लिए उपलब्ध अवसरों को प्रभावित कर सकती हैं, बल्कि समाज द्वारा उन्हें देखे जाने के तरीके को भी प्रभावित कर सकती हैं।

4) असमान अवसर

कई खेलों में, महिलाओं को अभी भी ट्रेनिंग  सुविधाओं, खेल सामान और संसाधनों के मामले में असमान अवसरों का सामना करना पड़ता है। इस  असमानता से महिला एथलीटों की ग्रोथ और विकास सीमित हो जाती है। इसके अलावा , कोचिंग और नेतृत्व भूमिकाओं में महिला लीडरशिप  की अनुपस्थिति एक ऐसी सोच को कायम रखती है जो खेलों में महिलाओं के सामने आने वाली  जरूरतों और चुनौतियों का समाधान करने में नाकाम  रहती है।

5) सामाजिक अपेक्षाओं और शारीरिक छवि

महिला एथलीट्स को कई बार उनकी सामाजिक स्थिति से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वे अक्सर स्त्री कार्यो से संबंधित पुरानी सोचों और उस सोच के दबाव में होती हैं, जिससे उनकी शारीरिक  छवि के बारे में चिंता हो सकती है। इससे उनकी मानसिक और भावनाओ पर भी असर पड़ सकता है। खेल कौशल के अलावा, दिखावे पर जोर देने वाली यह मान्यता खेल में महिलाओं के लिए प्रॉब्लम बना रहता है, जिससे उनकी उपलब्धियों और समर्पण को कमज़ोर किया जाता है।

Stereotypes खेल Women & Sports लिंग वेतन
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