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Things Society Should Normalize: इन चीज़ों को जरूरत है नार्मल करने की

औरतों की बहुत बॉडी शेमिंग की जाती है कि उनके बॉडी हेयर है। शरीर पर बाल होना बिलकुल नार्मल है जैसे मर्दों के शरीर पर बालों को नार्मल किया जाता है वैसे ही औरतों के शरीर पर बालों को क्यों बिग डील समझा जाता है?ल रखने है या नहीं।

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Rajveer Kaur
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Things Society Should Normalize

हमारे समाज में बहुत सी ऐसी चीज़ें हैं जिन्हे नॉर्मलाइज़ करने की जरूरत हैं लेकिन उन्हें किया नहीं जाता हैं। हर व्यक्ति की अपनी लाइफ होती है उसके हिसाब से ज़िन्दगी जीने का तरीका होता है औरउस हिसाब से वह फैसले लेता है। लेकिन कुछ लोगों को इस चीज़ से समस्या होती है कि इसने यह चीज़ ऐसे क्यों की? उन लोगों यह चीज़ समझने कि जरूरत है कि हर चीज वैसे नहीं जैसे आप सोचते हो। इसलिए हम आप को बताएंगे कि किन-किन चीज़ों को आप को नॉर्मलाइज करने की जरूरत है। 

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Things Society Should Normalize: इन चीज़ों को जरूरत है नार्मल करने की

औरतों के शरीर पर बाल

इस बात पर औरतों की बहुत बॉडी शेमिंग की जाती है कि उनके बॉडी हेयर है। शरीर पर बाल होना बिलकुल नार्मल है जैसे मर्दों के शरीर पर बालों को नार्मल किया जाता है वैसे ही औरतों के शरीर पर बालों को क्यों बिग डील समझा जाता है? यह औरत की निजी पसंद है कि उसने शरीर पर बाल रखने है या नहीं। 

एक ही सेक्स के पेरेंट्स होना

यह भी बिलकुल नार्मल है कि अगर सेम सेक्स  पेरेंट्स है इसमें कोई समस्या नहीं है हमें ही सिखाया गया है कि एक ही सेक्स के पेरेंट्स नहीं हो सकते है। ऐसा बिलकुल नहीं है। 

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सिंगल मदर का होना 

समाज को इस बात को नार्मल करना होगा कि सिंगल मदर भी होती हैं। अगर कोई औरत टॉक्सिक रिलेशन में रह रही थी इस वजह उसने अपने पार्टनर को छोड दिया और अब वह सिंगल मदर है तो यह बिलकुल नार्मल है। इसके साथ अगर किसी और वजह से भी वह सिंगल मदर है यह उसकी अपनी पसंद है हमें इस पर कोई समस्या या आपत्ति नहीं होनी चाहिए। 

सेक्स एजुकेशन 

अभी भी न घरों में और ना ही स्कूलों में सेक्स एजुकेशन को नार्मल किया गया है। यह बच्चों के लिए बहुत ज़रूरी हैं लेकिन आज भी सेक्स के बारे में बात करने में शर्म मानी जाती हैं। सेक्स एजुकेशन से हमारे समाज में बहुत चीज़ों में फर्क नजर आएगा। अभी सेक्स एजुकेशन पर सीरीज और पॉडकास्ट मजूद हैं लेकिन इस पर बहुत काम करने की जरूरत हैं। 

मेन्टल हेल्थ 

मेन्टल हेल्थ को भी नार्मल नहीं नार्मल किया गया है जब कोई कहता है मुझे डिप्रेशन है उसका मजाक बनाया जाता इस बात को गंभीरता से नहीं लिया जाता है। कहा जाता नखरे कर रही हैं। हमारे ज़माने में ऐसा कुछ नहीं था। पेरेंट्स और समाज को समझने कि जरूरत है कि मेन्टल हेल्थ बहुत ज़रूरी हैं। 

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