Understanding Imposter Syndrome: इंपोस्टर सिंड्रोम एक ऐसी मानसिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति खुद को अपनी Achievements के लिए योग्य महसूस नहीं करता है। इस सिंड्रोम से जूझ रहे व्यक्ति को लगता है कि उसकी सफलता केवल coincidentally हुई है और वह इसका असली हकदार नहीं है। वह अपनी Achievements पर डाउट करता रहता है। इंपोस्टर सिंड्रोम विभिन्न प्रकार के लोगों को प्रभावित कर सकता है। शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले छात्र, प्रोफेशनल, सफल व्यवसायी, कलाकार, और यहाँ तक कि उच्च पदों पर काम करने वाले व्यक्ति भी इस सिंड्रोम का सामना कर सकते हैं। तो आइए जानते है क्या होते है इंपोस्टर सिंड्रोम के कारण।
इंपोस्टर सिंड्रोम के 5 कारण
1. बचपन का अनुभव
अगर व्यक्ति का बचपन ऐसे वातावरण में बीता है जहाँ उसकी तुलना हमेशा अन्य बच्चों से की गई थी, तो वह खुद को हमेशा दूसरों से कम समझता है। कुछ माता-पिता अपने बच्चों से अत्यधिक Expectations रखते हैं। अगर बच्चा इन Expectations पर खरा नहीं उतरता है, तो वह खुद को नाकाफी समझ सकता है, जिससे इंपोस्टर सिंड्रोम का विकास हो सकता है।
2. सामाजिक प्रभाव
समाज में सफल होने का दबाव व्यक्ति को यह सोचने पर मजबूर कर देता है कि अगर वह सफल नहीं हुआ, तो वह एक असफल व्यक्ति के रूप में जाना जाएगा। इससे व्यक्ति अपने आप में आत्म-संदेह महसूस करने लगता है। व्यक्ति सोचता है कि उसे हमेशा सबसे अच्छा करना चाहिए और अगर वह गलती करता है, तो लोग उसे कमजोर मान लेंगे।
3. मनोवैज्ञानिक कारण
जिन लोगों में आत्म-सम्मान की कमी होती है, वे स्वयं की क्षमताओं पर विश्वास नहीं करते और सोचते हैं कि वे अपनी सफलता के योग्य नहीं हैं।कई लोग यह सोचते हैं कि वे हमेशा परफेक्ट होने चाहिए और गलती का कोई स्थान नहीं है। वे अपनी कमजोरियों को छुपाने के लिए खुद पर अत्यधिक दबाव डालते हैं, जिससे इंपोस्टर सिंड्रोम विकसित होता है।
4. कार्यस्थल
जब व्यक्ति को कार्यस्थल पर नई जिम्मेदारियाँ मिलती हैं, तो वह खुद को इसके लिए undeserving महसूस कर सकता है। उसे लगता है कि वह इन कामों को सही तरीके से नहीं कर पाएगा और उसकी असफलता सबके सामने आ जाएगी। Workplace पर अन्य लोगों की Expectations के कारण व्यक्ति को हमेशा यह महसूस होता है कि वह उनके मानकों पर खरा नहीं उतर रहा है।
5. परफेक्शन
इंपोस्टर सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति को हमेशा अपने काम को पूरी तरह परफेक्ट करने का दबाव महसूस होता है। उसे लगता है कि उसे बिना किसी गलती के काम करना चाहिए, ताकि उसकी क्षमताओं पर किसी को संदेह न हो। व्यक्ति को इस बात का डर रहता है कि यदि उसने कोई गलती की तो उसकी योग्यता पर सवाल उठाया जाएगा और लोग उसकी आलोचना करेंगे।