Informal sector में काम करने वाली महिलाओं को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है?

भारत में 90% श्रमिक(workforce) informal sector से रोजगार प्राप्त करते है,और यह 50% GDP में योगदान देता हैं।महिलाओं का informal Sector में अधिक और समान काम के वावजूद पुरुषों की अपेक्षा कम वेतन प्राप्त होता है।

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Nainsee Bansal
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Challenges faced by rural area women

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भारत में 90% श्रमिक(workforce) informal sector से रोजगार प्राप्त करते है,और यह 50% GDP में योगदान देता हैं।और जिसमें देश की लगभग 80-90% महिला श्रमिक आबादी अनौपचारिक क्षेत्र में काम करती हैं। Informal sector की महिला श्रमिक अर्थव्ययवस्था के लिए रीढ़ की हड्डी की तरह हैं, लेकिन इसके वावजूद भी उनकी मेहनत अक्सर नजरंदाज होती देखी जाती हैं साथ ही उन्हें कहीं समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं।

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Informal sector में काम करने वाली महिलाओं को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है?

1. कम आय प्राप्ति और अस्थिरता

informal sector में आय निश्चित नहीं होती, साथ ही काम मिलेगा की नहीं यह भी निश्चित नहीं होता हैं। महिलाओं का अधिक और समान काम के वावजूद पुरुषों की अपेक्षा कम वेतन प्राप्त होता है। इसके कारण महिला शोषित होती हैं।

2.कानूनी सुरक्षा की कमी

इस सेक्टर में श्रम कानून के अभाव के साथ बीमा, मातृत्व लाभ और पेंशन नहीं मिलती हैं। पक्का अनुबंध या पहचान के अभाव में अक्सर महिलाएं श्रमिक अपने मूल श्रमिक अधिकारों को भी प्राप्त नहीं कर पातीं हैं। ऐसी सरकारी योजनाओं के  लाभ के अभाव में महिलाएं ग्रामीण अंचल में भी कम वेतन पर काम करती हैं।

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3.शिक्षा और कौशल की सीमाएं

कम शिक्षा(education) और skills के अभाव में कम वेतन और कार्य अधिक ऊंचाई तक नहीं पहुंचता हैं। कौशल कार्यक्रम भी कम ही प्राप्त होतीं हैं। डिजिटल और financial knowledge और skills के अभाव में काम का इतना विस्तार नहीं होता।  

4.Double-role और responsibilities

अक्सर महिलाओं को workplace के काम के बाद घर की जिम्मेदारी भी संभालनी होती हैं, जिससे उनको तनाव और थकावट अधिक बढ़ जाती हैं। यह सिर्फ फॉर्मल सेक्टर में ही नहीं इनफॉर्मल सेक्टर में होता हैं। महिला को डबल काम करने की वजह से उनका दुगुना शोषण होता हैं।

5.सामाजिक मान्यताओ और पित्रसत्ता का प्रबल होना

"महिलाओं का काम घर तक सीमित हैं" ऐसे विचार अक्सर उन्हें रोकते नजर आ जाते हैं, और उनके काम को कमतर नापा जाता हैं। sexual-violence और harassment का डर भी महिलाओं को परेशान करता हैं और उन्हें खुलकर व्यक्त करने से भी रोकता हैं। ऐसें मे आवश्यक हैं कि उनके लिए सही निर्णय और नियम बनें। महिला(woman) का इन मान्यताओं को चुनौती देना भी आसान नहीं होता हैं।

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