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Shanti Tigga: भारतीय सेना की पहली महिला जवान

भारतीय सेना में महिलाओं का प्रवेश इतिहास का एक महत्वपूर्ण कदम है। इसी यात्रा में शांति तिग्गा एक महत्वपूर्ण नाम है, जिन्होंने भारतीय सेना में पहली महिला जवान के रूप में अपनी पहचान बनाई।

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Ritika Negi
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First female Indian Jawan

Shanti Tigga (Image Credit: shethepeople)

Who is Shanti Tigga: भारतीय सेना में महिलाओं का प्रवेश इतिहास का एक महत्वपूर्ण कदम है। इसी यात्रा में शांति तिग्गा एक महत्वपूर्ण नाम है, जिन्होंने भारतीय सेना में पहली महिला जवान के रूप में अपनी पहचान बनाई। उनकी फिटनेस और कौशल उनके पुरुष सहकर्मियों से आगे निकल गई, जिसके बाद उन्हें रिक्रूटमेंट ट्रेनिंग कैंप में बेस्ट ट्रेनी के खिताब से सम्मानित किया गया।

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शांति तिग्गा पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले की रहने वाली एक अनुसूचित जनजाति समुदाय से थीं। उनके परिवार और समुदाय के कई सदस्यों को रक्षा बलों के विभिन्न गुटों में भर्ती किया गया था, जिससे उन्हें 35 साल की उम्र में सेना में भर्ती होने पर सभी बाधाओं को तोड़ने की प्रेरणा मिली। उनका बाल विवाह हुआ था, और अपने प्रारंभिक जीवन का अधिकांश समय एक गृहिणी और मां की भूमिका में बिताया।

शांति तिग्गा क्यों हैं प्रेरणा स्रोत?

शांति तिग्गा की सेना में शामिल होने की कहानी अद्भुत है। वे अपने सपनों को पूरा करने के लिए लगातार प्रयास करती रहीं। उनके परिवार ने उनके सपनों को समझा और उन्हें समर्थन भी प्रदान किया। शांति का सपना सेना में सेवा करने का उस समय था, जब महिलाओं को सेना में प्रवेश की अनुमति दी गई थी, लेकिन अभी भी इसमें बहुत सारी चुनौतियां थीं। लेकिन इन चुनौतियों के के बावजूद, उन्होंने अपनी सामर्थ्य और संकल्प के साथ सेना में प्रवेश किया। 

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शांति ने सेना की भर्ती प्रक्रिया में अपनी ऊर्जा और उत्साह का प्रदर्शन किया। उनकी दृढ़ता और निष्ठा ने उन्हें सेना में उत्तम स्थिति में रखा। उन्होंने अपनी तैयारी में कभी कमी नही रखी और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपने प्रयासों में कभी भी पीछे नहीं हटी। जीवन में अनेक परेशानियों के बावजूद भी उन्होंने कभी हार नही मानी। जब शांति के पति की मृत्यु हुई, तो उन्हें मुआवजे के रूप में रेलवे में नौकरी दी गई। कहा जाता है कि शांति ने 1.5 किलोमीटर की दौड़ पूरी करने में पुरुषों की तुलना में 5 सेकंड कम समय लिया और 50 मीटर की दौड़ 12 सेकंड में पूरी की। 

9 मई 2013 को, शांति का अज्ञात अपराधियों द्वारा अपहरण कर लिया गया था और उन्हें रेलवे ट्रैक के पास एक खंबे से बंधा हुआ पाया गया था। इस हादसे के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, और उन्हें पुलिस सुरक्षा प्रदान करी गई थी। एक हफ्ते बाद, 13 मई 2013 को तिग्गा ने एक रेलवे अस्पताल में आत्महत्या कर ली थी। शांति तिग्गा का साहस और सामर्थ्य समाज के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। उन्होंने दिखाया की महिलाएं भी सेना में सेवा कर सकती हैं और उनमें भी वही जान होती है जो पुरुषों में होती है। उनका उदाहरण आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

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