Why are women being judged on the basis of their past: महिलाओं के सम्मान और स्थान को लेकर हमारे समाज में अभी भी कई सवाल उठते हैं। इसमें से एक सवाल यह है कि क्यों महिलाओं को उनके पास्ट की वजह से जज किया जाता है? क्या ऐसा करना सही है? क्या ऐसा करके हम उनके अधिकारों को उनसे छीन रहे हैं? यह एक चर्चा का विषय है।
महिलाओं को उनके पास्ट के आधार पर जज करना किसी भी रूप में उचित नहीं है। यह एक पुरानी सोच है जो समय के साथ बदलनी चहिए। हमें यह याद रखने की जरूरत है कि हर किसी का पास्ट होता है और हर किसी से गलतियां होती हैं। तो सिर्फ महिलाओं को जज क्यों किया जा रहा है? आपने अक्सर अपने आस पास देखा होगा, शादी से पहले लड़की के पास्ट के बारे में जांच पड़ताल करेंगे, उसे जज करेंगे। लेकिन वहीं लड़कों के लिए ऐसे कोई मानक नहीं है, अरे लड़के ने तो अपनी जवानी एंजॉय करी है, उसने कोई गलत चीज नहीं करी। सिर्फ लड़की को जज किया जाएगा, लड़के को नहीं।
आखिर क्यों लड़कियों को जज किया जाता है?
समाज को महिलाओं से कोई ज्यादा उम्मीद नहीं होती। उनके अनुसार महिलाओं को धार्मिक होना चाहिए, परिवार की देखभाल करना आना चाहिए, घर की जिम्मेदारी संभालना आना चाहिए। इसके परिणामस्वरूप, जब किसी भी महिला ने अपने पास्ट में कुछ अलग किया होता है, तो लोगों का ध्यान उस पर जाता है और महिला को जज करना शुरू कर देते हैं।
फिर एक और बड़ी समस्या है कि महिलाओं को उनके पास्ट के गलत कामों को लेकर समाज में बदनाम किया जाता है, जबकि उनके साथी पुरुषों को उनके गलत कामों के लिए बदनाम नहीं किया जाता है। इस तरह की सोच हमारे समाज के दोगलेपन को दर्शाती है। इस प्रकार की सोच के बजाय, हमें महिलाओं की उपलब्धियों, उनकी योग्यताओं, और उनके क्षमताओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। एक महिला को उसके पास्ट के आधार पर जज करना, न केवल उसकी सेल्फ रेस्पसेट को खत्म करता है बल्कि सामाजिक और आर्थिक स्थिति पर भी नेगेटिव प्रभाव डालता है।
आज के समय में, महिलाओं के साथ इस प्रकार का व्यवहार बदल जाना चाहिए। हमें समाज में जेंडर इक्वालिटी को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। महिलाओं को उनके पास्ट के आधार पर जज करने की बजाय, हमें उन्हें उनकी वर्तमान क्षमताओं और बिहेवियर के आधार पर जज करना चाहिए।