First Women: भारतीय राजनीति और समाज में महिलाओं का महत्व हमेशा से था, लेकिन उन्हें उच्च पदों और प्रतिष्ठान तक पहुंचने में कई सारे संघर्षों का सामना करना पड़ता रहा है। इसी में एक नाम है, सुचेता कृपलानी जो भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री थीं। उनकी कहानी एक प्रेरणादायक उदाहरण है जो दिखाता है कि सामाजिक समानता की राह पर बढ़ना असंभव नहीं है। यह लेख सुचेता कृपलानी के जीवन, शैक्षिक पृष्ठभूमि और भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डालता है, जो पुरुष प्रधान क्षेत्र में उनकी अग्रणी भूमिका को दर्शाता है।
प्रारंभिक वर्ष और शैक्षिक कार्य
सुचेता मजूमदार का जन्म 25 जून, 1908 को पंजाब के अंबाला में एक ऐसे बंगाली परिवार में हुआ था जो बेहद देशभक्त था। उनके पिता एक सरकारी डॉक्टर थे, अपने पिता द्वारा पली-बढ़ी, उन्होंने कम उम्र से ही राष्ट्रीय गौरव की एक मजबूत भावना विकसित की। उन्होंने अकादमिक रूप से उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और नई दिल्ली के इंद्रप्रस्थ कॉलेज और सेंट स्टीफन कॉलेज जैसे शीर्ष कॉलेजों में पढ़ाई की। उनकी शैक्षिक उपलब्धियों और लोक सेवा की इच्छा ने उन्हें बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में कांस्टीट्यूशनल हिस्ट्री की लेक्चरर बनने के लिए प्रेरित किया, जिसने उनके करियर की शुरुआत हुई।
सामाजिक कार्यों की शुरुवात
समाज के लिए कुछ करने का ख्याल सुचेता के दिल में जलियांवाला बाग नरसंहार जैसी घटनाओं के साथ-साथ भारत की स्वतंत्रता के महत्व पर जोर देने वाली पारिवारिक चर्चाओं के द्वारा आया। जैसे-जैसे भारत छोड़ो आंदोलन ने जोर पकड़ा, सुचेता कृपलानी एक ताकत के रूप में उभरीं, जिन्होंने महात्मा गांधी के साथ ब्रिटिश कोलोनियल ऑपरेशन को बहादुरी से चुनौती दी। संविधान सभा में उनका काम भारत के भाग्य को ढालने में विशेष रूप से महत्वपूर्ण था, क्योंकि उन्होंने भारतीय संविधान बनाने में मदद की और महिलाओं के अधिकारों की वकालत करने के लिए अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की स्थापना की।
पॉलिटिकल करियर की शुरुवात
सुचेता ने स्वतंत्रता के बाद राजनीति में प्रवेश किया और अपने जीवन में एक नए अध्याय की शुरुआत की। उन्होंने दृढ़ता और निर्णायक नेतृत्व गुणों का प्रदर्शन किया जब उन्होंने अपने पति, J.B. कृपलानी द्वारा बनाए गए किसान मजदूर प्रजा पार्टी (KMPP) मंच पर 1952 में नई दिल्ली से पहला लोकसभा चुनाव लड़ा और जीता। उन्होंने कई वर्षों में कई क्षेत्रों में संसद सदस्य के रूप में काम करना जारी रखा, जिससे राजनीति में अपना करियर बनाया।
अक्टूबर 1963 एक महत्वपूर्ण घटना जिस दिन, सुचेता कृपलानी ने भारतीय इतिहास में अपना स्थान पक्का किया और उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री की भूमिका निभाने वाली पहली महिला बनीं। एक स्वतंत्रता सेनानी, संवैधानिक योगदानकर्ता और भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री के रूप में, उन्होंने आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित किया। 1969 में कांग्रेस के विभाजन के बाद, उन्होंने 1971 में सक्रिय राजनीति से इस्तीफा दे दिया, 1 दिसंबर 1947, को उनकी मृत्यु हो गई।