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Parenting Tips: युवावस्था के समय बच्चों से दोस्ती करना क्यों है जरूरी?

युवावस्था जीवन का एक ऐसा पड़ाव है जब बच्चे को अपने जीवन को जीने के लिए आजादी चाहिए होती है। अक्सर ऐसा होता है की युवावस्था में बच्चे गलती कर बैठते हैं पर इसे सुधारने के जगह वह इसे और बिगाड़ देते हैं।

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Sneha yadav
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How to Foster Self-Reliance in Children

(Image credit: File image)

Why Building a Friendship with Your Teenager is Crucial During Adolescence: युवावस्था जीवन का एक ऐसा पड़ाव है जब बच्चे को अपने जीवन को जीने के लिए आजादी चाहिए होती है और वह अपने जीवन से जुड़े सभी फैसले खुद से लेना चाहते हैं। इस दौरान उनके शारीरिक, मानसिक और भावात्मक बदलाव आते है। अक्सर ऐसा होता है की युवावस्था में बच्चे गलती कर बैठते हैं पर इसे सुधारने के जगह वह इसे और बिगाड़ देते हैं। युवावस्था में गलती होना तो आम बात है पर माता-पिता का काम है कि वह अपने बच्चों को सही ढंग से समझाएं कि क्या सही है और क्या गलत। युवावस्था के समय बच्चे मां-बाप से दूरी बना लेते हैं और दोस्तों के साथ अधिक जुड़े रहते हैं। बच्चों को समझने और समझाने के लिए पेरेंट्स को उनके साथ दोस्ती का रिश्ता बनाना चाहिए। आइए जानते हैं युवावस्था में बच्चों से दोस्ती का रिश्ता क्यों बनना चाहिए।

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युवावस्था के समय बच्चो से दोस्ती का रिश्ता बनाने के 5 कारण

1. कम्युनिकेशन 

युवावस्था में अक्सर बच्चों के साथ बहुत कुछ होता है और वह बहुत सारे परेशानी और सवालों से घिरे होते हैं इसके बारे में बात करने में उन्हें हिचकिचाहट महसूस होती है। अगर माता-पिता अपने बच्चों के साथ दोस्ताना संबंध बनाकर रखे तो वह अपने विचार और भावनाओं को साझा करने में कंफर्टेबल रहते हैं। उन्हें अपनी परेशानियों का समाधान भी मिल जाता है।

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2. विश्वास और अंडरस्टैंडिंग 

जैसे कि हमें पता ही है कि किसी भी रिश्ते में अंडरस्टैंडिंग और विश्वास होना बहुत जरूरी है। ऐसे ही अगर माता-पिता अपने बच्चों के साथ एक दोस्ताना संबंध बनाकर रखते हैं तो उनके बीच एक विश्वास और अंडरस्टैंडिंग का रिश्ता बनता है। वह अपनी मुश्किल समय में उनके पास जाने से डरते नहीं है और उनके समझाने से उन्हें कोई दुख भी नहीं होता और सही निर्णय लेने के लिए वह प्रोत्साहित भी रहते हैं।

3. मैंटल सपोर्ट 

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युवावस्था जिंदगी का एक ऐसा पड़ाव है जो बहुत नाजुक होता है। माता-पिता अगर अपने बच्चों के साथ दोस्ती बनाकर रखते हैं तो वह उन्हें मेंटली सपोर्ट करते हैं। वह किसी भी परेशानी में हो उन्हें यह पता रहता है कि उनके माता-पिता सदैव उनके साथ रहेंगे और वह उनकी परवाह हमेशा करते रहेंगे। जिसकी वजह से वह किसी भी चुनौतियों से घबराते नहीं है और उनके अंदर सेल्फ कॉन्फिडेंस भी बढ़ता है।

4.लाइफ की वैल्यू को समझना 

माता-पिता अपने बच्चों के सबसे पहले टीचर होते हैं जो उन्हें जीवन जीने का सही तरीका और गलतियों से सीखना सिखाते है। माता-पिता चाहते हैं कि वह अपने बच्चों को एक सही जिंदगी दे जिसके लिए उनका दोस्त बनना बहुत जरूरी है। जिंदगी को वैल्यू को सिखाते हैं और बच्चे अपने पेरेंट्स को एक रोल मॉडल की तरह देखते हैं और उनकी तरह जिंदगी जीने की शिक्षा लेते हैं।

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5.फ्रीडम

युवावस्था के समय बच्चे स्वतंत्र रहना और खुद के फैसले लेना चाहते है। अगर हम उनके दोस्त बन कर रहे हैं तो हम उनके फ्रीडम का सम्मान करते हैं। उन्हें हमेशा ज्ञात रहता है कि हमारे पैरंट्स ने हमें फ्रीडम दी है तो हमें उसका गलत इस्तेमाल कभी भी नहीं करना चाहिए। वह अपनी गलतियों को दोहराते नहीं है और उससे सीख लेते हैं और अपने माता-पिता के लिए कोई भी गलत कदम नहीं उठाते।

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