Why Is Sex Stress Increasing In Society: स्ट्रेस के लेवल का बढ़ना सामाजिक, फाइनेंशियल, पर्सनल और प्रोफेशनल प्रेशर के कारण हो सकता है। यह स्ट्रेस हमारे फिजिकल और मेंटल हैल्थ पर प्रभाव डालता है, जिससे हमारी सेक्सुअल विकारों, जैसे कि इच्छा, प्रेम और संतुष्टि पर भी असर पड़ता है। आज कल की लाइफस्टाइल में बदलाव, जैसे कि ज्यादा काम की भागदौड़, फिजिकल और मेंटल दबाव और पर्सनल लाइफ की चुनौतियाँ, जोड़ों के बीच संबंधों पर दबाव डाल सकती हैं। इसके अलावा, तकनीकी प्रगति और व्यक्तिगत अभिरुचियों के बदलते नज़रिए भी सेक्स स्ट्रेस को बढ़ावा देते हैं। इस तरह की स्थितियों में, सेक्स स्ट्रेस के लक्षण फिजिकल और मेंटल रूप से महसूस हो सकते हैं। चलिए, इन विभिन्न परिस्थितियों को समझें।
सोसायटी में क्यों बढ़ रहा है सेक्स स्ट्रेस
समय की कमी और प्रियजनों की चिंताएँ
समय की कमी और प्रियजनों की चिंताएँ सेक्सुअल एक्टिविटी (Sexual activity) के लिए आवश्यक तनावमुक्त वातावरण की रोकथाम हैं, जो आजकल अक्सर अनुपलब्ध होती हैं। यदि समय मिल जाता है, तो मन विभिन्न चिंताओं में फंसा रहता है। बच्चों, माता-पिता और काम के दबाव से व्यक्ति के लिए अनेक चिंताएँ उत्पन्न होती हैं जो उसे आराम करने से रोकती हैं। इसके अलावा, विभिन्न दृष्टिकोण और थकान संभावना में व्यक्ति के साथ उदासीनता की भावना को बढ़ावा देते हैं, जो सेक्स के प्रति उसकी उदासीनता को बढ़ाते हैं।
काम का प्रेशर
काम का दबाव, कार्यालय या व्यापार में अपनी पहचान साबित करने की चाह, प्रमोशन की इच्छा और बॉस के सामने योग्य होने की कोशिश में कभी-कभी व्यक्ति अपनी पूरी एनर्जी खत्म कर देता है। साथ ही, करोड़ों की एनुअल इनकम मिलने वाले भारी पैकेज व्यक्ति को दबा देते हैं। अधिक आय के लिए 8 की बजाय 12-15 घंटे काम करना पड़ता है। कार्यालय के बाद कभी-कभी घर पर भी काम करना पड़ता है। इस उच्च दबाव वाले काम में बैलेंस बनाए रखना मुश्किल हो जाता है। ऑफिस और घर दोनों में जिम्मेदारियों को निभाते हुए, व्यक्ति इतना थक जाता है कि जब वह बिस्तर पर लेटता है, तो वह सो जाता है। इसका सीधा प्रभाव उनके सेक्स जीवन पर पड़ता है।
करियर की लालसा
करियर की लालसा सफलता के लिए प्रेरित करती है, जबकि संबंधों की जटिलताएं कभी-कभी बाधा बन सकती हैं। करियर की दौड़ में शामिल होने के कारण कई बार पति-पत्नी को अलग रहना पड़ता है और वीकएंड ही उनके लिए साथ बिताने का समय होता है। यह स्वेच्छा से चुने हुए योग्य जोड़े भी अनेक संदेहों और असुरक्षाओं का सामना करते हैं, जो उनके वैवाहिक बंधन और आंतरिक जीवन को प्रभावित कर सकते हैं।
असुरक्षा की भावना
आज की शादीशुदा जीवन में, कामकाजी पति-पत्नी के बीच स्थायी संबंध की कोई गारंटी नहीं है। डर बना रहता है कि कब अलग हो जाना पड़े, क्योंकि उनकी अहंकार टकराते रहते हैं, जो कभी भी हो सकती है। कोई भी समझौते के लिए तैयार नहीं होना चाहता। महिलाओं के मन में अधिक बचत की चिंता रहती है। वे ज़्यादा कमाने की कोशिश में होती हैं। वे सुरक्षित होना चाहती हैं। पुरुषों को स्त्रियों की दृष्टि में स्वार्थी नजर आता है। इस तरह की स्थिति तनाव और टकराव को जन्म देती है।
पोर्नोग्राफी का प्रभाव
पोर्नोग्राफी (Pornography) (अर्थात्, सेक्स संबंधित साहित्य, फोटो, फिल्म आदि) के प्रभाव से व्यक्ति सेक्स लाइफ (Sex Life) की दुनिया में खो जाता है। वह इस तरह की इच्छाओं में आसक्ति महसूस करता है, जबकि वास्तविकता कहीं और होती है। ऐसी फैंटेसी के कारण पार्टनर के साथ सेक्स स्ट्रेस बढ़ जाता है। वे साथ होने के बावजूद भी काम-सुख या आनंद से वंचित रह जाते हैं। एक-दूसरे की उम्मीदों को पूरा नहीं कर पाने के कारण तनाव और अनजाने में भय रिश्तों को उदास करता है।
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