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Why Is Talking About Periods Considered a Matter Of Shame?: आज के समय में भी जब समाज तरक्की की बात करता है, तब भी पीरियड्स यानी मासिक धर्म को लेकर बात कोई खुलकर बात करना नहीं चाहता इसे एक तरह की शर्म या संकोच से जोड़ा जाता है। लड़कियों को इसे छुपाकर रखने की सलाह दी जाती है, जैसे यह कोई गुप्त या गलत चीज हो। जबकि यह एक सामान्य और स्वाभाविक जैविक प्रक्रिया है। तो फिर ऐसा क्यों है कि पीरियड्स पर खुलकर बात करना आज भी वर्जित माना जाता है। आइए जानते हैं पीरियड्स से जुड़ी लोगों की मानसिकता को।
पीरियड्स पर बात करना शर्म की बात क्यों मानी जाती है?
1. सदियों पुरानी सामाजिक धारणाएं
पुराने समय से ही महिलाओं को पीरियड्स के दौरान ‘अशुद्ध’ माना जाता था। और यही सोच आज भी कई घरों में मौजूद है, जिससे लड़कियों को सिखाया जाता है कि वे इस बारे में किसी से खुलकर बात न करें।
2. लोगों की पितृसत्तात्मक सोच
आज के समय में भी कई जगह पुरुष-प्रधान समाज में महिलाओं के शरीर से जुड़ी बातें हमेशा दर किनार करके रहीं है उनके बारे में बातें करना जरूरी नहीं समझा गया है और पीरियड्स जैसे विषयों पर बात करना अशोभनीय माना गया।
3. शिक्षा की कमी होना
आज भी कई स्कूलों और घरों में इस विषय पर लड़कियों को खुलकर जानकारी नहीं दी जाती। और इसका नतीजा है कि आज भी बच्चियां इसे शर्म से जोड़कर देखती हैं।
4. सामाजिक चुप्पी और डर होना
अक्सर लड़कियों को यही डर होता है कि अगर वे इस विषय पर बात करेंगी तो उनका मज़ाक उड़ाया जाएगा या उन्हें शर्मिंदा किया जाएगा।
5. जागरूकता की कमी होना
पीरियड्स को लेकर शर्म नहीं, समझ और संवेदनशीलता होनी चाहिए। लड़कियों और लड़कों दोनों को इस विषय पर शिक्षा और जागरूकता देना ज़रूरी है, ताकि अगली पीढ़ी इसे एक सामान्य प्रक्रिया की तरह स्वीकार कर सके। अभी भी कई लोगों को पीरियड्स से जुड़े वैज्ञानिक तथ्य नहीं पता, जिससे उनमें इसे लेकर गलत धारणाएं और शर्म की भावना बनी रहती है।