Why Society Does Not Accept Same Sex Marriage: समलैंगिक शादी को हमारा समाज आज भी स्वीकार नहीं कर पाता है। बहुत कम लोग हैं जो खुलकर अपनी सेक्शूअल ऑरीएंटेशन के बारे में बात कर पाते हैं और स्वीकार कर पाते हैं। देखिए शादी का मतलब सिर्फ़ जेनरेशन को आगे बढ़ाना नहीं होता इसमें और प्यार, इज्जत, पूरी ज़िंदगी का साथ, दुःख और अच्छे समय में साथ देना, पार्ट्नर को समझना आदि सभी बातें शामिल हैं लेकिन समाज में ऐसा समझा जाता है कि शादी सिर्फ़ दो विपरीत जेंडर के बीच हो सकती और इसका मतलब सिर्फ़ बच्चे पैदा करना नहीं है।
समलैंगिक विवाह को समाज क्यों नहीं स्वीकार करता है?
शिक्षा की कमी
हमारे यहाँ एलजीबीटीक्यू कम्यूनिटी के बारे में कुछ जानकारी नहीं है। हमारे यहाँ लोग जेंडर को समझते हैं लेकिन सेक्स को नहीं। दो टर्म हैं लेस्बीयन और गे। लेस्बीयन जिसमें लड़की का आकर्षण लड़की की तरफ़ होता है। वहीं गे में लड़के का आकर्षण लड़के में होता है। इसमें कुछ भी ग़ैर कुदरती या बीमारी जैसा नहीं है। ये सब नोर्मल है उन्हें भी अपनी लाइफ़ जीने का पूरा हक़ है।
बठिंडा केस
पंजाब के बाठिंड़ा में 18 सितम्बर को 27 साल की डिम्पल ने 21 साल की मनीषा के साथ गुरुद्वारे में समलैंगिक शादी कर ली। जिसके बाद विवाद छिड़ गया। बीबीसी इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार ये शादी परिवार के आशीर्वाद के साथ हुई है। इस शादी को सिख धर्म के ग्रंथी ज्ञानी रघवीर सिंह जी के द्वारा ग़ैर कुदरती करार दिया है। उन्होंने इस शादी को सिख रीति रिवाज ख़िलाफ़ कहा है।
Dimple and Manisha married in Punjab's Bathinda city on 18 September with the blessings of their families. But their wedding, held in a gurdwara, has created a controversy. https://t.co/Xw83LJNsht
— BBC News India (@BBCIndia) September 26, 2023
शादी गुरु ग्रंथ साहिब जी की हाजरी में हुई थी उन्होंने बठिंडा गुरुद्वारा कमेटी को उन ग्रंथी जी को निकालने के आदेश जिन्होंने इस शादी को करवाया था।
भारत का क़ानून
भारत का क़ानून अभी समलैंगिकता को लेकर इतना स्पष्ट नहीं है। हालाँकि भारत ने 2018 के बाद इसे ग़ैर आपराधिक घोषित कर दिया था। इससे पहले इंडीयन पीनल कोड के सेक्शन 377 के मुताबिक़ समलैंगिकता एक अपराध था लेकिन अभी भी इसे क़ानूनी मान्यता नहीं दी गई।
समलैंगिकता अभी भी भारत में विवादित है। इस पर अभी क़ानून में भी कुछ साफ़ नहीं कहा है। समाज में भी लोग इस पर बँटे हुए हैं। यह किसी व्यक्ति का निजी मामला है उसे किस व्यक्ति से कैसे और कब शादी करनी है। यह एक जटिल प्रक्रिया है। इसके लिए हमें जेंडर और सेक्स के बीच का फ़र्क़ समझना होगा। कई देशों ने इसे लीगल किया जिसमें नीदरलैंड्स ऐसा पहला देश था जिसने 2001 में सेम सेक्स शादी को मान्यता दी थी।