Why Women Shouldn't Be Required to Change Their Surname After Marriage:समाज में यह धारणा लंबे समय से प्रचलित है कि महिलाओं को शादी के बाद अपने पति का सरनेम अपनाना चाहिए। हालांकि, यह परंपरा कई स्थानों पर सामान्य मानी जाती है, लेकिन बदलते समय के साथ इसके पीछे की सोच पर सवाल उठने लगे हैं। महिलाएं अब अपने जीवन के फैसले खुद लेने की स्वतंत्रता चाहती हैं, और सरनेम बदलने का निर्णय भी व्यक्तिगत पसंद का हिस्सा होना चाहिए, न कि सामाजिक दबाव का।
महिलाओं का शादी के बाद सरनेम बदलना जरूरी नहीं होना चाहिए?
1. पहचान और स्वतंत्रता का अधिकार
महिलाओं की पहचान उनके नाम से जुड़ी होती है, जो उनके जीवन के अनुभवों और उपलब्धियों का प्रतीक है। शादी के बाद सरनेम बदलने का दबाव उनके इस व्यक्तिगत अधिकार और स्वतंत्रता को कम कर देता है। हर व्यक्ति का यह हक होता है कि वे अपनी पहचान को बनाए रखें, चाहे वे शादीशुदा हों या नहीं।
2. समानता का सिद्धांत
सरनेम बदलने की परंपरा में असमानता छिपी होती है, क्योंकि यह केवल महिलाओं से अपेक्षा की जाती है, पुरुषों से नहीं। समानता का आदर्श यह कहता है कि शादी के बाद दोनों पार्टनर के लिए समान नियम होने चाहिए। महिलाओं को सिर्फ परंपरा के कारण अपने सरनेम बदलने के लिए मजबूर करना, एक पुरानी सोच का परिणाम है जो बदलने की आवश्यकता है।
3. व्यावसायिक और कानूनी समस्याएं
कई महिलाएं अपने करियर में पहले से ही अपनी पहचान बना चुकी होती हैं। शादी के बाद सरनेम बदलने से उनके व्यवसायिक जीवन पर प्रभाव पड़ सकता है, जैसे कि पहचान में बदलाव के कारण दस्तावेज़ों और लाइसेंसों में दिक्कतें आना। इसके अलावा, कानूनी दस्तावेज़ों में बदलाव करना समय लेने वाला और जटिल हो सकता है।
4. परिवार का हिस्सा होने की कोई शर्त नहीं
शादी के बाद सरनेम बदलना इस धारणा पर आधारित है कि महिलाएं पति के परिवार का हिस्सा बनती हैं और उन्हें अपना मूल परिवार छोड़ देना चाहिए। लेकिन शादी का अर्थ दोनों परिवारों को साथ लाना है, न कि एक को छोड़ना। महिलाएं बिना सरनेम बदले भी अपने नए परिवार का हिस्सा बन सकती हैं और दोनों परिवारों के बीच एक पुल का काम कर सकती हैं।
5. आधुनिक समाज में स्वतंत्रता की आवश्यकता
आज का समाज अधिक प्रगतिशील और स्वतंत्र विचारधारा को मानता है। महिलाएं अब पहले से कहीं ज्यादा आत्मनिर्भर हैं और अपने फैसले खुद लेने में सक्षम हैं। शादी के बाद सरनेम बदलने की परंपरा अब पुरानी हो चुकी है और इसे महिलाओं पर थोपना सही नहीं है।