Why There Is An Issue With Male Gaze In Our Society: हमारे समाज में महिलाओं को कितना रिस्पेक्ट या वैल्यू किया जाता है यह हम सब अच्छे तरीके से जानते हैं। हम सब महिलाओं को एक ऑब्जेक्ट ही मानते हैं। इसके साथ ही हम उनके ऊपर अपना कंट्रोल भी मानते हैं कि हम उनके साथ कुछ भी कर सकते हैं। कुछ लोगों के लिए महिला एक अचीवमेंट भी है और कुछ उनको देवी मानते हैं। इन सब में जो एक चीज मिसिंग है कि हम महिलाओं को इंसान मानना भूल जाते। ऐसे ही एक विषय के ऊपर बात करेंगे जिसे हम मेल गेज कहते हैं। चलिए जानते हैं कि यह क्या है?
क्यों Male Gaze हमारे समाज के लिए सही नहीं है?
इसका मतलब क्या है?
यह एक ऐसा कांसेप्ट है जिसमें महिलाओं को सेक्शुअलाइज तरीके से दिखाया जाता है और उन्हें नीचा दिखाया जाता है। अगर हम इसकी हिस्ट्री की बात करें तो 1973 में "विजुअल प्लेजर एंड नॉरेटिव सिनेमा" एस्से में ब्रिटिश फिल्म मेकर और थियोरिस्ट 'लौरा मुलवे' की तरफ से इस कॉन्सेप्ट को बताया गया है। इसमें लौरा बात करती हैं कि कैसे मेनस्ट्रीम मीडिया में महिलाओं को एक ऑब्जेक्ट की तरह दिखाया जाता है। उन्होंने बताया कि मीडिया में महिलाओं को एक पुरुष के लेंस से दिखाया जाता है और उन्हें ऐक्टर की तरह नहीं लिया जाता है। इसके साथ ही धीरे-धीरे यह कॉन्सेप्ट फिल्मों से निकल कर रियल जिंदगी में भी आने लगा है।
आज के समय में हम मेल गेज, की बात करें तो अगर सड़क पर एक लड़की चल रही है तो पुरुष उसे ऑब्जेक्टिफाई करने में कुछ सेकंड ही लगते हैं और उन्हें हमेशा ही माल या आइटम जैसे शब्दों से संबोधन किया जाता है। बहुत सारी फिल्मों या गानों में भी महिलाओं को ऑब्जेक्टिफाई किया जाता है जिसमें सिर्फ महिलाओं को अंग प्रदर्शन के लिए इस्तेमाल किया जाता है। उन्हें कोई कैरेक्टर नहीं दिया जाता है या फिर उनका कोई स्ट्रांग रोल नहीं होता है।
महिलाओं पर प्रभाव
मेल गेज से पावर पुरुषों के हाथों में आती हैं जिससे हमारा समाज मेल डोमिनेटेड बन जाता है और महिलाओं को कमजोर समझा जाता है। इसके साथ ही उनकी बॉडी को ऑब्जेक्टिफाई और सेक्शुअलाइज करना आम है। इस तरीके से महिलाओं को पुरुषों के प्लेजर के लिए देखा जाता है। इसके साथ ही महिलाओं का इसके ऊपर बहुत ज्यादा गहरा असर पड़ता है उन्हें सेक्सुअल हैरेसमेंट का सामना करना पड़ता है। उनकी मेंटल हेल्थ प्रभावित होती है और कॉन्फिडेंस बहुत कम हो जाता है।