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समाज द्वारा निर्धारित एक अच्छी बहू की परिभाषा में क्या कमियां हैं?

अच्छी बहू की परिभाषा आमतौर पर पारंपरिक दृष्टिकोण और सांस्कृतिक मान्यताओं से प्रभावित होती है, जो अक्सर महिलाओं की व्यक्तिगत स्वतंत्रता, अधिकारों और इच्छाओं को नज़रअंदाज़ कर देती है।

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Srishti Jha
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Daughter in law

Image Credit: Freepik

What are the shortcomings in the definition of a good daughter-in-law set by society? समाज में एक अच्छी बहू की परिभाषा विभिन्न मानदंडों और अपेक्षाओं पर आधारित होती है। यह परिभाषा आमतौर पर पारंपरिक दृष्टिकोण और सांस्कृतिक मान्यताओं से प्रभावित होती है, जो अक्सर महिलाओं की व्यक्तिगत स्वतंत्रता, अधिकारों और इच्छाओं को नज़रअंदाज़ कर देती है। 

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समाज द्वारा निर्धारित एक अच्छी बहू की परिभाषा में क्या कमियां हैं?

स्वतंत्रता की कमी

पारंपरिक परिभाषा के अनुसार, एक अच्छी बहू वह होती है जो अपने ससुराल वालों की हर बात मानती है और अपनी स्वतंत्रता का त्याग करती है। यह अपेक्षा महिलाओं की व्यक्तिगत स्वतंत्रता को कम करती है और उनके निर्णय लेने के अधिकार को सीमित करती है। महिलाओं की स्वतंत्रता उनके आत्म-सम्मान और विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। जब एक महिला को अपनी स्वतंत्रता का त्याग करने के लिए मजबूर किया जाता है, तो यह उसके मानसिक और भावनात्मक विकास को बाधित कर सकता है।

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करियर की उपेक्षा

समाज अक्सर एक अच्छी बहू को घरेलू कार्यों में दक्ष और पूर्ण रूप से समर्पित मानता है। यह सोच उनके करियर और व्यक्तिगत लक्ष्यों की उपेक्षा करती है। महिलाएं आज के युग में हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर रही हैं और उनके करियर को भी उतना ही महत्व दिया जाना चाहिए जितना कि किसी पुरुष के करियर को दिया जाता है। करियर महिलाओं को आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनाता है। जब समाज उनके करियर को महत्व नहीं देता, तो यह उनके पेशेवर विकास और आर्थिक स्वतंत्रता पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।

स्वास्थ्य और मानसिक संतुलन की अनदेखी

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अच्छी बहू की परिभाषा में अक्सर उनके स्वास्थ्य और मानसिक संतुलन की अनदेखी की जाती है। परिवार की उम्मीदें और दबाव महिलाओं को मानसिक तनाव में डाल सकते हैं। उनका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य महत्वपूर्ण है और इसे प्राथमिकता दी जानी चाहिए। मानसिक तनाव और शारीरिक थकान से महिलाओं की जीवन की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। उनका मानसिक संतुलन बनाए रखना आवश्यक है ताकि वे खुशहाल और स्वस्थ जीवन जी सकें।

समानता की कमी

पारंपरिक दृष्टिकोण में, बहू को हमेशा ससुराल वालों के प्रति समर्पित और सेवा करने वाली के रूप में देखा जाता है। यह समानता के सिद्धांत के खिलाफ है। परिवार में सभी सदस्यों को समान रूप से सम्मानित और महत्व दिया जाना चाहिए। रिश्तों में समानता और पारस्परिक सम्मान को बढ़ावा देना आवश्यक है। जब परिवार में समानता होती है, तो सभी सदस्य एक-दूसरे का सम्मान करते हैं और एक-दूसरे के विचारों और भावनाओं का महत्व समझते हैं। यह एक सकारात्मक और सहयोगी वातावरण को प्रोत्साहित करता है।

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निजता का अभाव

समाज में एक अच्छी बहू को परिवार की हर गतिविधि में भाग लेने और हर समय उपलब्ध रहने की उम्मीद की जाती है। यह उनकी निजता का हनन कर सकता है। हर व्यक्ति को अपनी निजी जगह और समय की आवश्यकता होती है, और इसका सम्मान किया जाना चाहिए। निजता की कमी से महिलाओं को मानसिक और भावनात्मक संतुलन बनाए रखने में कठिनाई हो सकती है। जब उनकी निजता का सम्मान किया जाता है, तो वे अपने आप को अधिक स्वतंत्र और आत्मनिर्भर महसूस करती हैं।

समाज द्वारा निर्धारित एक अच्छी बहू की पारंपरिक परिभाषा महिलाओं की स्वतंत्रता, समानता, और स्वास्थ्य को कम करके आंकती है। एक अच्छी बहू की परिभाषा को बदलने की आवश्यकता है ताकि महिलाएं स्वतंत्र रूप से अपनी पहचान बना सकें और अपने अधिकारों और इच्छाओं का सम्मान पा सकें। समाज में बदलाव लाने के लिए आवश्यक है कि हम महिलाओं की स्वतंत्रता, करियर, और स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें और समानता और सम्मान के मूल्यों को बढ़ावा दें। महिलाओं को अपने जीवन के हर पहलू में समर्थ और सशक्त बनाने के लिए हमें पारंपरिक धारणाओं को चुनौती देनी होगी और एक नया दृष्टिकोण महिलाओं को अपने जीवन के हर पहलू में समर्थ और सशक्त बनाने के लिए हमें पारंपरिक धारणाओं को चुनौती देनी होगी और एक नया दृष्टिकोण अपनाना होगा जो उनकी स्वतंत्रता और समानता को महत्व देता हो।

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