कभी ना कभी आपने यह जरूर सुना होंगा कि औरतें शॉपिंग पर बहुत खर्च करती है। हमारे समाज में यह एक ऐसी स्टीरियोटाइप है जो काफी समय से चली आ रही है। औरतों को हमेशा शॉपिंग के नाम पर डाउनप्ले किया गया है। हमेशा यह कह दिया जाता है कि औरतें तो कपड़े, मेकअप या अपने लिए सामान खरीदने में बहुत ज्यादा पैसे खर्च कर करती हैं। अपने पति की आधी तनखा तो इनके खर्चों में ही निकल जाती है।
हमारे समाज में हर चीज को जेंडर रोल से देखा जाता है। शॉपिंग को भी इसी तरीके से देखा जाता है कि मर्दों के मुकाबले औरतें ज्यादा शॉपिंग करती हैं लेकिन शॉपिंग करना या ना करना किसी की व्यक्तिगत पसंद हो सकती है इसके लिए एक जेंडर को जनरलाइज करना या स्टीरियोटाइप बनाना चीज बहुत गलत है। क्या किसी औरत को उसकी चॉइस से लेकर जज करना या जनरलाइज करना ठीक है?
Women Are Shopaholic: क्या औरतें सारा पैसा शॉपिंग पर उड़ा देती हैं?
ऐसा भी समझा जाता है कि औरतों को पैसा संभालना नहीं आता वे पैसा ज्यादा खर्च करती है। जो औरतें कम पैसों में घर चला सकती है उनको यह कह देना तुम तुम्हें पैसा संभालना नहीं आता या उन्हें की कोई ज्यादा जानकारी नहीं है यह कहना बिल्कुल गलत है। समाज में ऐसी भी औरतें मौजूद है जो कम पैसों में भी अच्छे से घर चला लेती है क्योंकि उनके पास ऐसी सूझ-बुझ और समझ है कि वे जानती है पैसे को कैसे संभालना है।
दूसरी बात यह भी है कि औरतों के प्रोडक्ट्स चाहे वो कपड़े हो चाहे उनके मेकअप का सामान हो वे मर्दों से ज्यादा महंगा होता है। इसलिए औरतों का पैसा उनके समान पर ज्यादा खर्च होता है। उनके प्रोडक्ट्स की वैराइटी भी मर्दों से ज्यादा होती है। औरतों को अपने हाइजीन के समान, मेकअप के समान कुछ ऐसी चीज है जिन पर उन्हें नियमित रुप से खर्च करना पड़ता है। जिसकी वजह से उनका खर्चा भी ज्यादा होता है।
नजरिया बदलने की जरूरत
ऐसा कुछ नहीं है कि औरतें शॉपिंग के लिए ज्यादा क्रेजी होती है या वे ज्यादा शॉपिंग करती हैं। हर व्यक्ति का शॉपिंग के लिए प्यार अलग हो सकता है। इसको जेंडर रोल बनाना कि सिर्फ औरतें ही शॉपिंग करती है यह बात बिल्कुल गलत है यह सिर्फ एक व्यक्तिगत पसंद है। इसमें जेंडर का कोई रोल नहीं है।