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Women Only Judged: औरतों को ही क्यों जज किया जाता है ?

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Rajveer Kaur
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अपने पार्ट्नर को धोखा देना बिल्कुल ग़लत बात है। चाहे वो औरत हो या मर्द किसी का भी अपने पार्ट्नर को धोखा देना जायज नहीं है। हमारा समाज हमेशा ही दोगला रहाँ है मर्दों के लिए इसकी रायें अलग तो वहीं औरतों के लिए अलग चायें वो किसी भी मुद्दे को लेकर हो। हर मामले में समाज औरत को नीचा दिखाता है।

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Why Are Women Only Judged/ हमेशा औरतों को ही क्यों धोखा देने पर जज किया जाता है ?

पार्ट्नर को धोखा देने की बात करें अगर मर्द यह काम करें तो समाज कहता लड़कों का इतना करना तो स्वाभाविक है। अभी लड़के होकर इतना तो करेंगे फिर क्या हो गया? अगर शादीशुदा होते होए भी वो बाहर संबंध रखता है अपनी पत्नी और बच्चों को तो पाल रहा है । अगर दूसरी तरफ़ औरत ऐसा करे तो उसके चरित्र पर उँगलियाँ उठाई जाती गरिमा पर सवाल उठाए जाते है हमारे समाज इस चीज़ को नैतिकता से नहीं जोड़ा जाता बल्कि लिंग से जोड़ा है । अगर मर्द करे तो ठीक औरत करे तो वो बेशर्म है उसे अपने बच्चों की कोई परवाह नही है। 

उनके चरित्र पर उठाया जाता है सवाल 

इस चीज़ के लिए महिलाओं के चरित्र पर सवाल उठाया जाता है। उनकी स्लट शेमिंग, पैसों की भूखी कहा जाता हैं। ये भी कहा जाता लड़कियाँ तो ऐसी ही होती हैं। ये तो पैसे पीछे भागती हैं।

लड़के करें तो सही!

एक और बात जो हमारे देश में बहुत प्रचलित है वो है इज्जत लड़की कुछ भी करे घरवालों की इज्जत दांव पर लग जाती है।  वही लड़के चायें परिवार का अपमान करे, बीवी को धोखा दे फिर नही इनकी इज्जत को कुछ होता। किसी भी मर्द का एक से ज़्यादा सेक्शूअल पार्ट्नर होना नोर्मल माना जाता है इसे असली मर्द होने की निशानी माना जाता है और वही दूसरी तरफ़ अगर किसी लड़की के एक से ज़्यादा सेक्शूअल पार्ट्नर हो तो पूरा समाज उस लड़की को बदनाम करता हैं उसके बारे में अलग अलग बातें बनाता है। जबकि होना ऐसा चाहिए कि औरत हो चाहे मर्द दोनो को अपने पार्ट्नर को धोखा देना उचित नही है दोनो इस लिए सज़ा के हक़दार है।

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