महिलाओं की Storytelling से समाज में कैसे बदलाव आ सकता है?

कहानियाँ कई रूपों में सामने आती हैं जैसे फिल्में, किताबें, नाटक या पॉडकास्ट। स्टोरीटेलिंग के इस सफर में महिलाओं का भी बड़ा योगदान रहा है। महिलाएँ केवल कहानियाँ सुनाती ही नहीं, बल्कि समाज में बदलाव भी लाती हैं।

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Rajveer Kaur
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Storytelling

Photograph: (Freepik)

कहानियों में वह शक्ति होती है जिससे लोगों के सोचने, महसूस करने और काम करने के तरीके को बदला जा सकता है। कहानियाँ कई रूपों में सामने आती हैं जैसे फिल्में, किताबें, नाटक या पॉडकास्ट। स्टोरीटेलिंग के इस सफर में महिलाओं का भी बड़ा योगदान रहा है। महिलाएँ केवल कहानियाँ सुनाती ही नहीं, बल्कि समाज में बदलाव भी लाती हैं। जब एक महिला अपने अनुभव, विचार और क्रिएटिविटी दूसरों के साथ साझा करती है, तो वह न केवल अपनी कहानी कहती है, बल्कि स्टीरियोटाइप्स को तोड़ती है, अन्याय के खिलाफ बोलती है और नई पीढ़ी को प्रेरित करती है।

महिलाओं की Storytelling से समाज में कैसे बदलाव आ सकता है?

स्टीरियोटाइप को तोड़ना

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जब एक महिला कोई किताब लिखती है, कहानी कहती है या फिल्म बनाती है, तो उसमें महिला किरदार को केवल “सहायक” या “कमज़ोर” के रूप में नहीं दिखाया जाता। बल्कि फीमेल कैरेक्टर्स को मज़बूत, स्वतंत्र और विविध रूपों में प्रस्तुत किया जाता है। सदियों से महिलाओं की आवाज़ को स्टोरीटेलिंग में नज़रअंदाज़ किया गया था। अधिकतर फिल्मों और साहित्य में महिला किरदारों को पुरुषों पर निर्भर दिखाया जाता था। लेकिन आज महिलाएँ स्टोरीटेलिंग के ज़रिए यह साबित कर रही हैं कि महिलाएँ सिर्फ “कमज़ोर” या “डिपेंडेंट” नहीं हैं, बल्कि वे अपनी अलग पहचान और शक्ति रखती हैं।

महिलाओं के असली मुद्दों पर फोकस

जैसे-जैसे महिलाएँ स्टोरीटेलिंग में आगे बढ़ रही हैं और अपनी आवाज़ उठा रही हैं, वैसे-वैसे समाज के असली मुद्दों पर चर्चा भी बढ़ रही है। उनकी कहानियों के माध्यम से लैंगिक असमानता, कार्यस्थल पर आने वाली चुनौतियाँ, बॉडी इमेज की समस्याएँ, घरेलू हिंसा, दहेज, मारपीट और यौन शोषण जैसे मुद्दों पर ध्यान दिया जा रहा है। इन कहानियों से समाज में जागरूकता फैल रही है और बदलाव की ज़मीन तैयार हो रही है।

रिप्रेज़ेंटेशन और आवाज़ की ताकत

इतिहास गवाह है कि महिलाओं की आवाज़ को हमेशा दबाया गया। साहित्य और कला में उन्हें अक्सर इग्नोर किया गया। लेकिन अब जब महिलाएँ पॉडकास्ट, किताबों और सोशल मीडिया के ज़रिए अपनी आवाज़ बुलंद कर रही हैं, तो वे उन महिलाओं का भी प्रतिनिधित्व कर रही हैं जिन्हें हमेशा नज़रअंदाज़ किया गया था। पॉडकास्ट या डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के ज़रिए जब महिलाएँ अपनी व्यक्तिगत कहानियाँ और अनुभव साझा करती हैं, तो उन्हें अपने विचार रखने का मौका मिलता है और वे अपनी पहचान और आवाज़ दुनिया तक पहुँचा पाती हैं।

डिजिटल प्लेटफॉर्म और नए अवसर

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OTT प्लेटफ़ॉर्म, सोशल मीडिया और पॉडकास्ट ने महिलाओं को स्टोरीटेलिंग का नया रास्ता दिया है। अब महिलाएँ अपने टैलेंट को छिपाने के बजाय खुलकर सामने ला रही हैं। वे अपने घर की सुविधा में बैठकर भी अपनी कहानियाँ दुनिया तक पहुँचा सकती हैं। उन्हें अब किसी पर निर्भर रहने की ज़रूरत नहीं है और उनके विचारों को कमतर नहीं आँका जाता। महिलाओं की कहानियाँ यह संदेश देती हैं कि समानता कोई “ख़ास सुविधा” नहीं, बल्कि एक सामान्य और ज़रूरी बात है। हमें एक संतुलित और समावेशी समाज की ज़रूरत है, जहाँ हर वर्ग के लोगों को सम्मान मिले और सबको अपनी आवाज़ रखने का अवसर दिया जाए।

महिलाओं की स्टोरीटेलिंग समाज में गहरा बदलाव ला रही है। यह न केवल स्टीरियोटाइप्स को तोड़ती है, बल्कि महिलाओं की असली समस्याओं पर चर्चा शुरू करती है। डिजिटल युग ने महिलाओं को अपनी कहानियाँ कहने का अवसर दिया है और इन कहानियों से ही समाज अधिक जागरूक, संतुलित और न्यायपूर्ण बन सकता है।