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Dowry System: दहेज प्रथा खत्म करने की ओर उठाएं ये कदम

दहेज प्रथा एक कूरीति है जो आज भी हमारे समाज में प्रचलित है। आज सरकार कई कानून लेकर आई है जो इसे खत्म करने में सहायक है। परंतु केवल कानून लेकर आना ही समाज में बदलाव का कारण नहीं बन सकता। लोगों को अवेयर होना भी बहुत जरूरी है।

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Shruti
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(Image Credit - Pinterest)

Eradicate Dowry System In These Ways: दहेज प्रथा एक कूरीति है जो आज भी हमारे समाज में प्रचलित है। ना जाने इस दहेज प्रथा की वजह से कितनी औरतें अपनी जिंदगी में कितना कुछ सहती हैं। कई ने मानसिक प्रताड़ना सही, तो बहुत सी औरतें शारीरिक प्रताड़ना का भी शिकार हुई। आज भी यह दहेज प्रथा समाज में चलती आ रही है। दहेज प्रथा के कारण ही आज भी बेटी होने पर लोग सबसे पहले उसकी शादी के पैसे जुटाने लगते हैं। फीमेल की भ्रूण हत्या भी कई बार ऐसी प्रथाओं का परिणाम रहा है और लड़कियों को लड़कों से कम समझा जाता है। ऐसी ही समस्याओं की वजह से भी कई बार बेटी पैदा होने की खबर से लोगों में मायूसी छा जाती है। आज सरकार कई प्रकार के नियम और कानून लेकर आई है जो दहेज प्रथा को खत्म करने में सहायक हैं। साथ ही साथ इससे एक गर्ल चाइल्ड की लाइफ और स्टेटस भी अपलिफ्ट होंगे। परंतु केवल कानून लेकर आना ही समाज में बदलाव का कारण नहीं बन सकता। लोगों को अवेयर होना भी बहुत जरूरी है। आइये इन स्टेप्स के द्वारा हम समझें कि दहेज की प्रथा को कैसे खत्म किया जाए

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दहेज प्रथा खत्म करने की ओर उठाएं ये कदम

1. बेटियों को पढ़ाएं

आज भी कई लोग ऐसी रूढ़िवादी सोच रखते हैं जिसमें उन्हें लगता है कि औरतें पढ़ाई के लिए नहीं बनी। उनका काम केवल घर गृहस्ती संभालना ही होता है। सबसे पहले दहेज प्रथा को खत्म करने के लिए ऐसी रूढ़िवादी सोच को खत्म करना जरूरी है। अपनी बेटियों को अच्छी शिक्षा दें। उन्हें अपने पैर पर खड़े होने के लायक बनाएं। ताकि वह फाइनेंशली इंडिपेंडेंट बन सके और इस समाज को बेहतर बनाने में अपना योगदान दे सके। जब एक लड़की पढ़ती है तब उसके साथ ही सारा समाज भी पढ़ता है।

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2. करियर को प्रोत्साहन दें

लड़कियों को खुद के पैरों पर खड़ा होना सिखाएं। जब वह अपने पैसे खुद कमाने लगती हैं तो उनका कॉन्फिडेंस और बढ़ जाता है। साथ ही साथ वह समाज के इन कुरीतियों को खत्म करने के लिए भी खुद से स्टेप्स ले सकती हैं।

3. इंडिपेंडेंट बनना सिखाएं

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आज हर औरत को  इंडिपेंडेंट होना बहुत जरूरी है। ताकि वह अपने जीवन के फैसले खुद ले सके। उन्हें किसी और के ऊपर डिपेंड होने की जरूरत ना पड़े और यदि कोई उनसे गलत व्यवहार कर रहा है तो वह उसके खिलाफ आवाज उठा सकें। दहेज जैसी प्रथाओं के खिलाफ आवाज उठाने से ही ऐसी प्रथाओं को रोका जा सकता है।

4. भेद भाव ना करें

यदि आपके घर में बेटी और बेटा भी है तो ऐसे में कभी भी इन दोनों के बीच में भेदभाव ना करें। बेटा और बेटी दोनों को समान दृष्टि से ही देखे। उन्हें चीज़ों का समान हकदार बनाएं। जैसे-जैसे इंसान की सोच बदलती जाएगी और वह जेंडर के बीच के भेदभाव को खत्म करने लगेगा, वैसे ही दहेज जैसी प्रथाएं भी कम होने लगेंगी। यदि आप बाहर भी कहीं ऐसा देखते हैं कि जेंडर का भेदभाव हो रहा है तो उसके खिलाफ भी अपनी आवाज़ उठाएं। कभी भी किसी एक जेंडर को दूसरे से कम ना समझें।

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5. दहेज को प्रोत्साहन ना दें

हमेशा यह बात याद रखें कि दहेज लेना और देना दोनों ही एक गलत रूढ़िवादी सोच को दर्शाता है। साथ-साथ यह औरतों की जिंदगी पर बहुत गहरा प्रभाव डाल सकता है। इसलिए जितना हो सके दहेज लेने या देने को प्रोत्साहित ना करें। दहेज के खिलाफ खुद भी आवाज़ उठाएं। साथ ही साथ कभी भी दहेज को कोई दूसरा नाम जैसे कि गिफ्ट इत्यादि बता कर भी ना दें ना ही लें। समाज में दहेज को खत्म करने का पहला स्टेप इंसान के खुद के माइंडसेट से शुरू होता है। बेटियों की सुरक्षा और समान अधिकार के लिए दहेज के खिलाफ अवेयर हों और यदि आपके आसपास भी कोई दहेज जैसी नीच प्रथाओं को बढ़ावा देता है तो उसके खिलाफ भी आवाज़ उठाएं।

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