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Feminism: नारीवाद की पहचान एक दृष्टि में

ब्लॉग | इश्यूज | करिअर-कौशल: हमारे समाज में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को उनका सामाजिक तौर से बराबर अधिकार दिलाना ही नारीवाद कहलाता है। नारीवादी एक ऐसी सोच है, जिसके अनुसार समाज में पुरुषों और महिलाओं को समान अधिकार देना चाहिए।

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Prabha Joshi
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नारीवाद

नारीवाद–एक उभरता प्रश्न

Feminism: नारीवादी, जब आप ये  शब्द सुनते हैं तो आपके दिमाग में जरूर ख्याल आता होगा नारी से जुड़ी हुई कुछ बातें। कुछ लोगों को तो यह भी नहीं मालूम होता कि नारीवादी का सही मतलब क्या है? इसमें नारी के किस हक की बात कही गई है? चलिए आज हम आपको विस्तार से नारीवादी के बारे में बताते हैं।

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नारीवादी क्या है?

हमारे समाज में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को उनका सामाजिक तौर से बराबर अधिकार दिलाना ही नारीवाद कहलाता है। नारीवादी एक ऐसी सोच है, जिसके अनुसार समाज में पुरुषों और महिलाओं को समान अधिकार देना चाहिए। नारीवादी, नारीवाद अधिकार के सिद्धांत पर कार्य करने वाली नीति है।

नारीवादी समाज, लिंग के आधार पर असमानता को स्थापित करने का सफल प्रयास करती है, जिसके अंतर्गत पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को बराबर रोजगार और शिक्षा का अवसर प्रदान करती है और साथ ही साथ महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार , दुराचार, उत्पीड़न पर रोकथाम करने का भी कार्य कर रही है।

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नारीवाद की श्रेणियां क्या हैं

नारीवाद की श्रेणियां हैं :-

1) उदारवादी नारीवाद

2) समाजवादी नारीवाद

3) उग्रवादी नारीवाद

4) उत्तर आधुनिक नारीवाद

5) पर्यावरण नारीवाद

6) अश्वेत नारीवाद

7) सांस्कृतिक नारीवाद

1. उदारवादी नारीवाद : उदारवादी नारीवाद के अंतर्गत  महिलाओं को उनके  प्रतिनिधित्व के अवसर प्रदान किए जाते हैं। महिलाओं को समानता और बढ़ावा देने का भी कार्य किया जाता है।

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2. समाजवादी नारीवाद : समाजवादी नारीवाद के अंतर्गत महिलाओं के साथ सामाजिक भेदभाव को रोका जाता है। समाज में उनको समानता का अधिकार दिलाने का कार्य किया जाता है।

3. उग्रवादी नारीवाद : उग्रवादी नारीवाद के अंतर्गत मनोवैज्ञानिक रूप से महिलाओं को प्रोत्साहन दिया जाता है तथा उनके हक और समानता की बात सरकार के सामने रखी जाती है।

4. उत्तर आधुनिक नारीवादी : उत्तर आधुनिक नारीवादी के अंतर्गत महिलाओं को उनके जीवन में पुरुष के हस्तक्षेप करने पर रोका जाता है।

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5. पर्यावरण नारीवाद : पर्यावरण नारीवाद के अंतर्गत प्राकृतिक संसाधनों के द्वारा नारी की स्थिति को बेहतर बनाने का कार्य किया जाता है।

6. अश्वेत नारीवाद : अश्वेत नारीवाद के अंतर्गत महिलाओं के साथ हो रहे गोरे काले दुर्व्यवहार को सामाजिक तौर से रोकने का कार्य किया जाता है। अश्वेत नारीवाद के खिलाफ आवाज उठाने वाली पहली लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता बेल हुक थीं। बेल हुक ने अश्वेत नारीवाद में अपना भरपूर योगदान दिया था। बेल हुक ने अश्वेत महिलाओं के खिलाफ आवाज उठाई और उनकी ही बदौलत आज अश्वेत महिलाओं को भी बराबरी का दर्जा दिया जाता है।

7. सांस्कृतिक नारीवाद : संस्कृतिक नारीवाद के अंतर्गत प्राचीन समय से हो रहे महिलाओं के साथ भेदभाव को रोकने का कार्य किया जाता है।

सूचना : इस आलेख को केवल संपादित किया गया है। मौलिक लेखन तलत परवीन का है।

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